GST दर में कटौती से बंधी आस, कारोबार पकड़ेगा रफ्तार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 11:32 AM

gst rate hike business will catch speed

वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) परिषद के शुक्रवार के फैसले से छोटे कारोबारी राहत महसूस कर रहे हैं। इसे देखते हुए उनकी आस बढ़ गई है कि उनका सुस्त पड़ा कारोबार भी रफ्तार पकड़ेगा। जी.एस.टी. परिषद ने अपने हालिया फैसले में लकड़ी के फर्नीचर, फुटवियर, लगेज,...

नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) परिषद के शुक्रवार के फैसले से छोटे कारोबारी राहत महसूस कर रहे हैं। इसे देखते हुए उनकी आस बढ़ गई है कि उनका सुस्त पड़ा कारोबार भी रफ्तार पकड़ेगा। जी.एस.टी. परिषद ने अपने हालिया फैसले में लकड़ी के फर्नीचर, फुटवियर, लगेज, बिजली उपकरणों, सभी तरह की टाइलों और सैनेटरी वेयर पर जी.एस.टी. की दर 28 से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी है लेकिन खाद्य व अन्य कारोबारी इस बात को लेकर निंश्चित नहीं हैं कि इसका उन्हें फायदा मिलेगा या नहीं।

पश्चिम दिल्ली के कीॢत नगर मार्कीट में दीवारों और फर्श के लिए वुडन पैनलिंग की दुकान चलाने वाले राधे श्याम बंसल का कहना है कि कर की दर में बदलाव से प्लास्टिक आधारित पी.वी.सी. पैनलिंग की बढ़ती लोकप्रियता को कम नहीं किया जा सकता है। यह लकड़ी का सस्ता और टिकाऊ विकल्प है तथा धीरे-धीरे उपभोक्ताओं में इसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है। चमड़े का सामान, बिजली उपकरणों और सिरैमिक टाइल के कारोबारी शादी के मौसम तथा कीमतों में गिरावट से कारोबार के फिर से पटरी पर लौटने की आस कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मुम्बई और दिल्ली में चमड़ा व फर्नीचर की बिक्री 10 से 50 प्रतिशत तक गिर गई है।

गुजरात की सिरैमिक टाइल इकाइयों में  उत्पादन आधा
गुजरात का मोरबी दुनिया में टाइल निर्माण का  दूसरा सबसे बड़ा केन्द्र है। इसका सालाना कारोबार 30,000 करोड़ रुपए का है लेकिन जुलाई से इस कारोबार में उत्पादन आधा रह गया है। 28 प्रतिशत जी.एस.टी. से न केवल उत्पादन में गिरावट आई बल्कि कई छोटे कारोबारियों को तो अपना कारोबार समेटना पड़ा है।

दरें घटाने के बाद उत्पादन और बिक्री में सुधार की उम्मीद
एशियन ग्रेनिटो इंडिया के सी.एम.डी. कमलेश पटेल ने कहा कि कर की दर घटाने से उत्पादन और बिक्री में सुधार होने की उम्मीद है। ये कंपनियां नोटबंदी और रियल एस्टेट में मंदी के कारण परेशानियों का सामना कर रही हैं।18 प्रतिशत जी.एस.टी. के साथ असंगठित और संगठित कंपनियों के बीच अंतर कम हो जाएगा जिससे उद्योग का ही फायदा होगा। इस बीच दर में कटौती से मुम्बई की लोहार चॉल जैसे इलाकों में काम से निकाले गए मजदूरों के चेहरों पर मुस्कान लौट सकती है। लोहार चॉल में पिछले 4 महीनों में थोक और खुदरा कारोबारियों ने कई मजदूरों की छुट्टी कर दी थी। ब्रांडेड और बिना ब्रांड वाले मैटरैस बेचने वाले मंजूनाथ ने कहा कि हम उन्हें वापस लाकर अपना कारोबार बढ़ाएंगे।

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