GST से टैक्स के मुकद्दमों की हो जाएगी भरमार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Feb, 2018 03:41 AM

gst tax scam will get worse

भारतीय अदालतों में अपीली मुकद्दमों की संख्या बढ़ गई है। बताया जाता है कि अदालतों में 2,00,000 से अधिक टैक्स के मामले विचाराधीन हैं जिनकी राशि कुल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के 4.7 फीसदी के बराबर बनती है। इसके अलावा वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) के लागू...

नई दिल्ली: भारतीय अदालतों में अपीली मुकद्दमों की संख्या बढ़ गई है। बताया जाता है कि अदालतों में 2,00,000 से अधिक टैक्स के मामले विचाराधीन हैं जिनकी राशि कुल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के 4.7 फीसदी के बराबर बनती है। इसके अलावा वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) के लागू होने से समस्या और भी पेचीदा बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जी.एस.टी. से भारत में टैक्स के मुकद्दमों की भरमार हो जाएगी। 

कई बार टैक्स अधिकारी टैक्स नोटिस जारी करने पर ज्यादा जोर दे देते हैं और बाकी सब कुछ वे अदालतों पर छोड़ देते हैं। अधिकारी चाहते हैं कि टैक्स से संबंधित विवादों के बारे में अदालत ही अंतिम फैसला ले। इससे देश में एक से ज्यादा फैसला आने की संभावना बढ़ जाती है। अहम सवाल यह भी है कि ज्यादातर मामलों का अंतिम फैसला करदाताओं के हक में क्यों हो जाता है? एक आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक विभाग ऐसे 65 प्रतिशत मामलों में कानूनी लड़ाई हार जाता है और इस तरह विभाग में मामलों की सफलता की दर गिरती जा रही है। 

हालांकि यह एक बढिय़ा बात है कि केन्द्रीय बजट में कुछ ऐसे कदम का ऐलान किया गया है जिसके अधीन अदालती मुकद्दमों से बचाव हो सकेगा। अलग-अलग मामलों में कुछ सुधार भी नजर आ रहा है। जो सर्वेक्षण किया गया है उसमें यह नहीं बताया गया कि जी.एस.टी. को लागू करने का क्या प्रभाव पड़ा परन्तु अंतर्राष्ट्रीय तजुर्बा यही कहता है कि जी.एस.टी. लागू करने के शुरूआती वर्षों में टैक्सों से संबंधित विवादों तथा अदालती मुकद्दमों में वृद्धि हुई है। भारत में भी इस तरह होने की पूरी संभावना है। 

जी.एस.टी. के लागू होने के बाद अब तक 2 दर्जन से ज्यादा याचिकाएं अलग-अलग अदालतों में दायर की जा चुकी हैं। चाहे जी.एस.टी. कौंसिल अदालतों में दायर हुई याचिकाओं के निपटारों के लिए सक्रिय है परन्तु इसके नए मामलों के कारण परेशानी बढ़ सकती है तथा पहले से ही याचिकाओं की लम्बी सूची और भी लम्बी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जी.एस.टी. में अभी भी बहुत सी कमियां हैं।

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