Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Apr, 2018 05:26 AM
सरकार वस्तु एवं सेवा कर नैटवर्क (जी.एस.टी.एन.) को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में बदलने की तैयारी में है। जी.एस.टी.एन. इस नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) ढांचे को देखती है। अभी निजी क्षेत्र के वित्तीय संस्थान जी.एस.टी.एन....
नई दिल्ली: सरकार वस्तु एवं सेवा कर नैटवर्क (जी.एस.टी.एन.) को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में बदलने की तैयारी में है। जी.एस.टी.एन. इस नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) ढांचे को देखती है। अभी निजी क्षेत्र के वित्तीय संस्थान जी.एस.टी.एन. में बहुलांश हिस्सेदार हैं। उनकी कंपनी में हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है। शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र और राज्य सरकारों के पास है।
एक सूत्र ने बताया कि वित्त मंत्री अरुण जेतली ने वित्त सचिव हसमुख अधिया से जी.एस.टी.एन. को बहुलांश सरकारी कंपनी या 100 प्रतिशत सरकारी कंपनी में बदलने की संभावना तलाशने को कहा है। चूंकि अब यह पोर्टल पूरी तरह परिचालन में आ चुका है, कर संग्रह में भी स्थिरता है तथा ई-वे बिल को भी क्रियान्वित किया जा चुका है। ऐसे में सरकार अब इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर विचार कर रही है।
एक करोड़ कंपनियों ने करवाया पंजीकरण
अभी तक एक करोड़ कंपनियां और कारोबार जी.एस.टी.एन.पोर्टल पर पंजीकरण करवा चुकी हैं। भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी पूर्व में कई मौकों पर जी.एस.टी.एन. के शेयरधारिता तरीके पर सवाल उठा चुके हैं। उनका कहना है कि इससे डाटा सुरक्षा को जोखिम हो सकता है। स्वामी ने अगस्त, 2016 को इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था।