Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Apr, 2019 06:45 PM
यू.एस. सिटीजन एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यू.एस.सी.आई.एस.) ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए उसे एच-1बी वीजा के 2,01,011 आवेदन मिल चुके हैं, जो 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
नई दिल्लीः यू.एस. सिटीजन एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यू.एस.सी.आई.एस.) ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए उसे एच-1बी वीजा के 2,01,011 आवेदन मिल चुके हैं, जो 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। साथ ही अमरीकी विश्वविद्यालयों से मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री रखने वालों द्वारा भी उसे पर्याप्त संख्या में आवेदन मिल चुके हैं। आवेदन प्रक्रिया एक अप्रैल को शुरू हुई थी।
कुल आवेदनकर्त्ताओं में से केवल 42 प्रतिशत लोगों को ही एच-1वीजा मिल पाएगा क्योंकि अमरीका एक साल में केवल 85,000 लोगों को ही यह वीजा जारी करता है। अमरीका ने इस साल हालांकि मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री रखने वालों के लिए 20,000 से अधिक वीजा जारी करने के लिए नियमों में बदलाव भी किया है। पिछले साल यू.एस.सी.आई.एस. को 1,90,098 आवेदन मिले थे। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल आवेदन कम रह सकता है यानी भारतीय आवेदनों में गिरावट आने की उम्मीद है।
एच-1बी वीजा का सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाली भारतीय आई.टी. कम्पनियों ने आरोप लगाया है कि अमरीका से मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री रखने वालों के लिए नया कोटा अमरीकी प्रौद्योगिकी कम्पनियों के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया है।
भारतीय मांग 20-30 प्रतिशत घटेगी
मुम्बई की एक ग्लोबल लॉ फर्म लॉक्वैस्ट की प्रबंध निदेशक पूर्वी चोटानी ने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल कुल आवेदनों में निश्चित तौर पर थोड़ी बढ़ौतरी हुई है हालांकि पिछले कुछ वर्षों में ट्रैंड में यह कोई बड़ा बदलाव नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकतर कम्पनियों ने कहा है कि उन्होंने एच-1वीजा के लिए पहले की तुलना में कम आवेदन दिया है, इसलिए इस वीजा के लिए भारतीय आई.टी. कम्पनियों के बीच मांग 20-30 प्रतिशत कम लग रही है।
पिछले साल 49 प्रतिशत भारतीय आवेदन खारिज
केयर रेटिंग्स की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारतीय कम्पनियों द्वारा दिए गए 49 प्रतिशत वीजा आवेदनों को खारिज कर दिया गया था और 5 शीर्ष कम्पनियों को 22,429 वीजा दिए गए थे जबकि साल 2017 में वीजा आवेदन खारिज होने का आंकड़ा 43.95 प्रतिशत था।