H1B वीजा के सख्त नियमों का अर्थव्यवस्था पर गहरा असर: Assocham

Edited By ,Updated: 20 Apr, 2017 11:34 AM

h1b visa  s strict rules have a profound impact on the economy

उद्योग संगठन एसोचैम का कहना है कि अमरीका द्वारा जिस तरह एच1बी वीजा जारी करने के ...

हैदराबाद: उद्योग संगठन एसोचैम का कहना है कि अमरीका द्वारा जिस तरह एच1बी वीजा जारी करने के नियमों को सख्त किया जा रहा है, उसका भारतीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के परिदृश्य पर गहरा असर पड़ेगा।

कम्प्यूटर क्षेत्र में 86% हिस्सा भारतीय आई.टी. पेशेवरों का
एसोचैम की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीका में सूचना प्रौद्योगिकी तथा कम्प्यूटर के क्षेत्र में जितने एच1बी वीजा जारी किए जाते हैं, उनमें से करीब 86 फीसदी हिस्सा भारतीय आई.टी. पेशेवरों का होता है। लेकिन, अब इनका प्रतिशत गिरकर करीब 60 फीसदी या उससे भी कम हो सकता है। उद्योग संगठन ने आगाह किया है कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की संरक्षणवादी नीति ‘अमरीकी चीजें खरीदो और अमरीकी नागरिकों को रोजगार दो’ से वहां काम करने वाली भारतीय आई.टी. कंपनियों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा और इससे मजबूर होकर उन्हें भारत में छंटनी भी करनी पड़ सकती है। इसके अलावा आई.टी. कंपनियां रुपए के मजबूत होने से भी दबाव में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वीजा नियमों में सख्ती आने से आई.टी. कंपनियां बाध्य होकर भर्ती, वेतन भुगतान और नियुक्ति की अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती हैं और इस बदलाव का असर भारत में काम करने वाले कर्मचारियों पर भी पड़ेगा।

अमरीकी अधिकारियों के साथ मुद्दा उठाएंगे जेतली
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज संकेत दिया कि वह अपनी अमरीका की आगामी यात्रा के दौरान अमरीकी अधिकारियों के साथ वीजा का मुद्दा उठा सकते हैं। जेतली ने क्या वह भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) उद्योग की ङ्क्षचता से अमरीकी प्रशासन को अवगत कराएंगे, का उत्तर देेते कहा कि आई.टी. उद्योग का मुद्दा उचित अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श का मुद्दा है। इस पर विचार-विमर्श कर लेने के बाद मैं आपको इसकी जानकारी आपको दूंगा। इस बीच, आई.टी. उद्योग के प्रमुख संगठन नास्कॉम ने आगाह किया है कि अमरीका में पेशेवरों के लिए अस्थायी नौकरी हेतु एच-1बी वीजा जारी करने के लिए लॉटरी प्रणाली की जगह योग्यता आधारित व्यवस्था करने के ‘अपनेक्षित परिणाम’ आ सकते हैं। हालांकि, नास्कॉम ने यह भी कहा है कि इस साल इसका भारत की आई.टी. कंपनियों पर तत्काल असर नहीं पड़ेगा। 

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