Edited By ,Updated: 13 Mar, 2016 12:41 PM
शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने एचडीएफसी बैंक के बारे में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि उसके मन में भारत के प्रति कोई प्यार और सम्मान नहीं है
नई दिल्ली: शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने एचडीएफसी बैंक के बारे में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि उसके मन में भारत के प्रति कोई प्यार और सम्मान नहीं है क्योंकि उसने विदेश में फंसे एक दंपति के डैबिट कार्ड को चालू नहीं कर देश की साख को खतरे में डाला।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) ने बैंक पर यह टिप्पणी करते हुए उसे संबद्ध दंपति को 5 लाख रुपए का जुर्माना देने का निर्देश दिया। बैंक ने उनके कार्ड को चालू नहीं किया जिसके कारण वे 2008 में 10 दिनों के लिए थाइलैंड और सिंगापुर में फंस गए थे।
उपभोक्ता अदालत ने कहा, ‘‘बैंक का भारत के प्रति कोई प्यार और सम्मान नहीं है। देश की साख खतरे में थी। इस बात को जानते हुए कि भारतीय दूसरे देश में फंसे हैं, प्रबंधक का यह कर्तव्य था कि वह तत्काल कदम उठाते, उन्होंने 10 दिनों तक कोई कदम नहीं उठाकर गलती की, यह बैंक की तरफ से लापरवाही और निष्क्रियता को बताता है।’’
न्यायमूर्ति जे एम मलिक ने कहा, ‘‘विदेशी हमेशा प्रक्रियागत देरी की शिकायत करते हैं, वे इस देश के साथ व्यापारिक संबंधों को नहीं चाहते हैं। बैंक का ढीला रख अचंभित करने वाला है। बैंक प्रबंधक ने समस्या को खत्म करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।’’ शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने चंडीगढ़ निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता मोहिन्दरजीत सिंह सेठी तथा उनकी पत्नी राजमोहिनी सेठी के लिए मुआवजा 50,000 रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया। दंपति ने राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ एनसीडीआरसी में आवेदन दिया था। राज्य उपभोक्ता आयोग ने मुआवजा राशि 50,000 रुपए से बढ़ाने से मना कर दिया था। याचिका में मुआवजा राशि 50,000 रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का अनुरोध किया गया था।