HDFC की पासबुक स्टेंप पर सफाई

Edited By Supreet Kaur,Updated: 18 Oct, 2019 03:57 PM

hdfc wrote on the passbook no responsibility for more than 1 lakh

निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही बैंक की पासबुक पर लगे डिपॉजिट बीमा के स्टैंप के बारे में स्पष्टीकरण जारी किया है। बैंक ने कहा है कि आरबीआई ने 22 जुलाई, 2017 को सर्कुलर जारी किया था, जिसका पालन कि....

नई दिल्लीः निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही बैंक की पासबुक पर लगे डिपॉजिट बीमा के स्टैंप के बारे में स्पष्टीकरण जारी किया है। बैंक ने कहा है कि आरबीआई ने 22 जुलाई, 2017 को सर्कुलर जारी किया था, जिसका पालन किया जा रहा है। यह सर्कुलर नया नहीं है। बल्कि डिपाजिट इंश्योरैंस एंड क्रैडिट गारंटी कार्पोरेशन (DICGC) के नियमों के तहत यह सभी बैंकों पर लागू है।
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HDFC बैंक ने दिया स्पष्टीकरण
सोशल मीडिया पर HDFC बैंक की पासबुक पर लगे डिपॉजिट बीमा के स्टैंप के बारे एक मैसेज वायरल हो रहा है। इस वायरल मैसेज में कहा गया है कि अगर HDFC बैंक पर किसी तरह का संकट आता है तो ग्राहक को जमा राशि पर अधिकतम 1 लाख रुपए ही मिलेंगे। यानी बैंक में ग्राहकों के भले ही 1 लाख रुपए से अधिक की जमा राशि हो लेकिन HDFC बैंक सिर्फ 1 लाख रुपए तक देने को बाध्‍य है। मैसेज के मुताबिक ग्राहकों को यह राशि क्‍लेम की तारीख के दो महीने के भीतर मिलेगा।

इस वायरल मैसेज पर एचडीएफसी बैंक ने सफाई देते हुए कहा कि यह नियम पुराना है। बैंक की ओर से दी गई सफाई में कहा गया है कि आरबीआई ने 22 जुलाई, 2017 को सर्कुलर जारी किया था, जिसका पालन किया जा रहा है।आरबीआई के सर्कुलर में कहा गया है कि सभी कमर्शियल बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंक को यह जानकारी ग्राहकों की पासबुक के पहले पन्ने पर देनी होगी। बता दें कि पासबुक पर लगे जिस स्टैंप का मैसेज वायरल हो रहा है, उसमें लिखा है कि बैंक में जमा राशि DICGC से बीमित है और अगर बैंक दिवालिया होता है तो फिर DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को पैसा देने के लिए दिवालिया शोधक के जरिए बाध्यकारी है।
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रिजर्व बैंक की सहयोगी है DICGC
डिपाजिट इंश्योरैंस एंड क्रैडिट गारंटी कार्पोरेशन रिजर्व बैंक आफ इंडिया की सहयोगी संस्था है और देश के सारे कमर्शियल बैंक और को-आप्रेटिव बैंकों में जमा होने वाले पैसे का DICGC के पास बीमा होता है। बैंकों के सेविंग अकाऊंट, करंट अकाऊंट और फिक्स डिपाजिट के अलावा अन्य सभी तरह की जमा पर DICGC बीमा देता है। DICGC की वैबसाइट के मुताबिक भी यदि बैंक का लाइसैंस रद्द हो जाता है या बैंक का विलय हो जाता है या लिक्विडेशन की समस्या आती है तो बैंकों में जमा हुई 1 लाख रुपए तक  (ब्याज सहित) की रकम का ही दावा किया जा सकता है।
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