देश में जरूरत से ज्यादा हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के कारण स्वास्थ्य सेवा महंगी और अप्रभावी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Nov, 2019 04:34 PM

healthcare expensive and ineffective due to excessive health insurance scheme

देश में विभिन्न आय वर्ग और पेशे के लिए अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम की संख्या काफी अधिक है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्थ इंश्योरेंस सिस्टम के बहुत अधिक विभाजित होने के कारण यह महंगा हो गया है और इसकी प्रभावोत्पादकता भी घट गई है।

नई दिल्लीः देश में विभिन्न आय वर्ग और पेशे के लिए अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम की संख्या काफी अधिक है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्थ इंश्योरेंस सिस्टम के बहुत अधिक विभाजित होने के कारण यह महंगा हो गया है और इसकी प्रभावोत्पादकता भी घट गई है। सरकारी थिंक टैंक का कहना है कि भारतीयों को कम खर्चीली स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस सिस्टम में बड़े पैमाने पर सुधार किए जाने की जरूरत है।

भारत में स्वास्थ्य सेवा पर बहुत कम खर्च
नीति आयोग के मुताबिक भारत स्वास्थ्य सेवा पर दुनिया में सबसे कम खर्च करने वाले देशों में शामिल है। हालांकि लोगों की साधारण आयु बढ़ने और शिशु व मातृ मृत्यु दर घटने के कारण यह बात छुप जाती है कि सरकार स्वास्थ्य सेवा पर कितना कम खर्च करती है। चीन में स्वास्थ्य सेवा पर सरकारी खर्च का अनुपात जीडीपी का 3.2 फीसदी है। श्रीलंका में यह 1.3 फीसदी और फीलीपींस, इंडोनेशिया और मिस्र में यह एक फीसदी है। भारत में यह 0.9 फीसदी है। स्वास्थ्य सेवा पर प्रति व्यक्ति खर्च के हिसाब से देखा जाए, तो चीन में यह 761 डॉलर, मिस्र में 516 डॉलर, श्रीलंका में 491 डॉलर, इंडोनेशिया में 363 डॉलर, फीलीपींस में 342 डॉलर और भारत में यह 239 डॉलर है।

टुकड़ों-टुकड़ों में बहुत ज्यादा विभाजित है स्वास्थ्य सेवा सेक्टर
भारत में स्वास्थ्य सेवा सेक्टर टुकड़ों-टुकड़ों में बहुत ज्यादा विभाजित है। हर सरकारी स्कीम एक खास वर्ग के लिए है। इसके कारण इन योजना का प्रदर्शन प्रभावित होता है। अलग-अलग योजना के तहत काम करने वाले संगठन अलग-अलग नियम और मानकों के तहत काम करते हैं। इसके कारण लोगों में विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए उनकी योग्यता को लेकर भ्रम पैदा होता है, सेवा हासिल करने में देरी होती है और खर्च बढ़ता है।

बीमा योजनाओं का विभाजन घटाने से तेज होगी सेवा की डिलीवरी
नीति आयोग के मुताबिक सरकारी बीमा योजनाओं की संरचना सुधारकर और इनका आधार बड़ा कर इनकी गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। इससे सेवा की डिलीवरी में तेजी भी आएगी और इसकी लागत भी घटेगी। आयुष्मान भारत इस दिशा में एक सही कदम है। इसके तहत देश की सबसे गरीब 40 फीसदी आबादी को पांच लाख रुपए का कवरेज देने का लक्ष्य है। कई और योजनाओं में सुधार किया जा सकता है।

सुधार अपनाकर 15 लाख परिवारों को गरीब होने से बचाया जा सकता है
नीति आयोग का मानना है कि इन योजनाओं में विभाजन घटाकर यदि इनका आधार बढ़ाया जाए, तो इससे काफी बेहतर परिणाम मिलेंगे। नीति आयोग ने इन योजनाओं में सुधार के लिए जो सुझाव दिए हैं, यदि उन्हें लागू किया जाए, तो आयोग के मुताबिक 2030 तक 10 से अधिक अतिरिक्त बच्चों की जान बचाई जा सकेगी और कामकाजी उम्र के वयस्कों की मृत्यु में 16 फीसदी और कमी की जा सकेगी। वयस्कों की मृत्यु घटने से 2030 तक देश की जीडीपी में 64 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। इस दौरान जेब से होने वाला खर्च घटकर 45 फीसदी पर आ जाएगा, जो मौजूदा नीति के कारण 60 फीसदी है। 15 लाख और परिवारों को बीमारियों के कारण गरीबी के दायरे में आने से बचाया जा सकेगा।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!