Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Sep, 2021 01:46 PM
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) सुरक्षा समूह की कर्ज के बोझ से दबी रियल्टी कंपनी जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण की बोली को मंजूरी देने की अपील पर अब 26 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। पहले इस अपील पर सुनवाई मंगलवार को होनी थी लेकिन
नई दिल्लीः राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) सुरक्षा समूह की कर्ज के बोझ से दबी रियल्टी कंपनी जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण की बोली को मंजूरी देने की अपील पर अब 26 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। पहले इस अपील पर सुनवाई मंगलवार को होनी थी लेकिन समय की कमी की वजह से एनसीएलटी ने इसे 26 अक्टूबर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। यह मामला न्यायाधिकरण की दिल्ली की प्रधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था।
पीठ में कार्यवाहक अध्यक्ष भास्कर पंतुला मोहन और सदस्य सुमिता पुरकायस्थ शामिल हैं। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में दायर अपीलों की एक के बाद एक सुनवाई करेगी। सुरक्षा समूह की बोली को लेकर न्यायाधिकरण के समक्ष इसके पक्ष और विपक्ष में कुल 11 अपीलें दायर की गई हैं। जेपी इन्फ्राटेक के समाधान पेशेवर की ओर से पेश वकील सुमंत बत्रा ने कहा कि सुरक्षा समूह की पेशकश को 98.66 प्रतिशत मतों से मंजूरी मिली है।
वित्तीय ऋणदाता आईसीआईसीआई बैंक ने इस सौदे का विरोध किया है। वहीं जयप्रकाश एसोसिएट्स लि. और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। जून में जेपी इन्फ्राटेक लि. के वित्तीय ऋणदाताओं ने दिवालिया कंपनी के अधिग्रहण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी की तुलना में मुंबई के सुरक्षा समूह को प्राथमिकता दी थी। सीओसी की मंजूरी के बाद हजारों घर खरीदारों को उम्मीद बंधी थी कि उन्हें आखिर कई साल के विलंब के बाद अंतत: अपने फ्लैट पर कब्जा मिल जाएगा। करीबी दौड़ में सुरक्षा समूह को 98.66 प्रतिशत और सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी को 98.54 प्रतिशत मत मिले थे।
जेपी इन्फ्राटेक के लिए खरीदार ढूंढने के लिए यह बोली का चौथा दौर है। यह कंपनी अगस्त, 2017 में कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के तहत गई थी। सीओसी की मंजूरी के बाद सुरक्षा ग्रुप की पेशकश को एनसीएलटी की मंजूरी जरूरी है। जेपी इन्फ्राटेक के सफल समाधान से नोएडा और ग्रेटर नोएडा की परियोजनाओं के 20,000 से अधिक घर खरीदारों को राहत मिलेगी। अपनी अंतिम समाधान पेशकश में सुरक्षा समूह ने बैंकों को 2,500 एकड़ जमीन और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों के जरिए 1,300 करोड़ रुपए देने की पेशकश की है। उसने लंबित फ्लैटों का निर्माण अगले 42 माह में पूरा करने का वादा किया है।