पेट की बजाय किया दिल का इलाज, फोर्टिस देगा 25 लाख का हर्जाना

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Nov, 2019 09:45 AM

heart treated instead of stomach fortis will pay 25 lakh damages

राज्य उपभोक्ता फोरम ने पेट की बीमारी का इलाज करने की बजाय मरीज के दिल का इलाज करने और बाद में उसकी मौत होने के मामले में फोर्टिस हैल्थकेयर लि. और फोर्टिस अस्पताल पर 25 लाख रुपए

जयपुरः राज्य उपभोक्ता फोरम ने पेट की बीमारी का इलाज करने की बजाय मरीज के दिल का इलाज करने और बाद में उसकी मौत होने के मामले में फोर्टिस हैल्थकेयर लि. और फोर्टिस अस्पताल पर 25 लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए राशि ब्याज सहित परिवादी को अदा करने को कहा है।

क्या है मामला 
रेखा खुंटेटा व अन्य ने बताया कि 28 जुलाई 2014 को उसके पिता चेतराम को खाना-पीना निगलने में तकलीफ  हो रही थी। इस पर मरीज को फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया। यहां पेट दर्द की जानकारी देने के बावजूद डॉक्टरों ने गलत हिस्ट्री शीट लिखी और ई.सी.जी. व ईको किया। इसमें आया कि मरीज का हार्ट 50 प्रतिशत ही काम कर रहा है। इस पर मरीज ने बताया कि उसका हार्ट वर्ष 2002 से इतना ही काम कर रहा है। वहीं मरीज की पेट दर्द की शिकायत पर ध्यान न देकर उसकी एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की गई। मरीज की 30 जुलाई को हालत बिगडऩे पर हीमोडायलिसिस देना शुरू किया गया। वहीं 31 जुलाई को हार्ट अटैक से चेतराम की मौत हो गई जिसके बाद परिवार की तरफ  से न्याय की मांग की गई।

यह कहा फोरम ने 
राज्य उपभोक्ता फोरम ने कहा कि पेट दर्द के मरीज को दिल का रोगी बनाकर उसका इलाज किया गया। अस्पताल का यह कृत्य गंभीर सेवा दोष की श्रेणी में आता है। ऐसे में अस्पताल पर 25 लाख रुपए का अलग से दंडात्मक हर्जाना लगाया जाता है। अदालत ने इलाज में खर्च हुए 2 लाख 84 हजार रुपए भी ब्याज सहित लौटाने को कहा है। यह हर्जाना राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में ब्याज सहित जमा कराया जाए। 

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