Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Aug, 2018 05:20 PM
बैंकों के कर्ज की लागत बढऩे से भारतीय कॉरपोरेट जगत के लिए ऋण लेना महंगा हो गया है, जिससे औद्योगिक उत्पादन तथा घरेलू मांग में सुधार पर असर पड़ रहा है। एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है।
नई दिल्लीः बैंकों के कर्ज की लागत बढऩे से भारतीय कॉरपोरेट जगत के लिए ऋण लेना महंगा हो गया है, जिससे औद्योगिक उत्पादन तथा घरेलू मांग में सुधार पर असर पड़ रहा है। एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की रिपोर्ट के अनुसार कर्ज की ऊंची लागत और रुपए में कमजोरी से कंपनियों पर असर पडऩे की संभावना है। वहीं वैश्विक बाजार की अनिश्चितता में वैश्विक वृद्धि की कहानी को पटरी से उतारने की क्षमता है।
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के लीड अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा कि बैंकों की ऋण दर बढऩे की वजह से कंपनियों के कर्ज की लागत बढ़ रही है। कमजोर रुपए की वजह से भी स्थिति खराब हुई है। सिंह ने कहा कि ऋण की ब्याज दर बढऩे से औद्योगिक उत्पादन तथा घरेलू मांग में सुधार पर असर पड़ सकता है। इस बीच, हेजिंग की लागत बढ़ी है और डॉलर में कर्ज महंगा हुआ है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट का अनुमान है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 3.7 से 3.9 प्रतिशत के दायरे में रहेगी, जबकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 4.8 से 5 प्रतिशत के दायरे में रहेगी।