Edited By Supreet Kaur,Updated: 30 Aug, 2018 11:48 AM
एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 में धान की सामान्य किस्म के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 13 फीसदी की बढ़ोतरी से गैर-बासमती चावल का निर्यात प्रभावित हो सकता है। इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा, गैर-बासमती चावल के एमएसपी वृद्धि को पहले ...
नई दिल्लीः एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 में धान की सामान्य किस्म के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 13 फीसदी की बढ़ोतरी से गैर-बासमती चावल का निर्यात प्रभावित हो सकता है। इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा, गैर-बासमती चावल के एमएसपी वृद्धि को पहले के 3.5 से 5.4 फीसदी की सीमा के मुकाबले वर्ष 2018-19 में 13 फीसदी बढ़ा दिया गया है।
इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा कि गैर-बासमती चावल के एक प्रमुख उपभोक्ता देश, बांग्लादेश ने आयात शुल्क को जून 2018 से दो फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी करने के परिणामस्वरूप गैर-बासमती चावल के निर्यात में कमी आ सकती है। इसके अलावा थाईलैंड द्वारा वैश्विक बाजार में आपूर्ति बढ़ाकर अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की उम्मीद है। इन पहलुओं का देखते हुए गैर-बासमती चावल के निर्यातकों के परिचालन लाभ और प्रभावित हो सकते हैं जो व्यापार की सीमित मूल्य-योजक प्रकृति के कारण पहले से दुखी हैं।
साख निर्धारक एजेंसी, इक्रा रेटिंग्स के उपाध्यक्ष मनीष बल्लभ ने कहा घरेलू और साथ ही वैश्विक बाजारों में गैर-बासमती चावल खंड में हालिया घटनाक्रम भारतीय चावल मिलों के लिए उत्साहजनक नहीं हैं, क्योंकि इस साल एमएसपी में ज्यादा वृद्धि की गई है। उन्होंने कहा कि एमएसपी में वृद्धि से बुवाई के रकबे में वृद्धि हो सकती है, इस प्रकार निर्यात के लिए चावल की अधिक उपलब्धता होगी, दूसरी ओर एमएसपी वृद्धि के कारण इस फसल की कीमत भी बढ़ेगी जिसके कारण वैश्विक बाजारों में भारतीय चावल महंगा हो जाएगा, जो गैर-बासमती चावल के निर्यात को प्रभावित कर सकता है। भारत गैर-बासमती चावल के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है और 2017-18 में देश ने 86.3 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया, जो कि 40.5 लाख टन बासमती चावल के निर्यात की मात्रा से दोगुनी रही।