कार्पोरेट वार-2 में HUL से भिड़ेंगे रामदेव

Edited By ,Updated: 31 Dec, 2016 12:05 PM

hindustan unilever launch ayurvedic supplements to fight ramdev s patanjali

एफ.एम.सी.जी. मार्कीट में जल्द ही मल्टीनैशनल कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एच.यू.एल.) और रामदेव बाबा के बीच जंग शुरू होने जा रही है।

नई दिल्लीः एफ.एम.सी.जी. मार्कीट में जल्द ही मल्टीनैशनल कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एच.यू.एल.) और रामदेव बाबा के बीच जंग शुरू होने जा रही है। ऐसी एक लड़ाई 1980 के दशक में देखी जा चुकी है जब व्हील और निरमा के बीच मुकाबला हुआ था। अब कार्पोरेट वार-2 में एच.यू.एल. और बाबा रामदेव भिड़ेंगे।

एच.यू.एल. के निशाने पर पतंजलि
एच.यू.एल. देश की सबसे बड़ी कंज्यूमर गुड्स कंपनी है। वह कई आयुर्वैदिक पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स लांच करने जा रही है जिसके निशाने पर बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के प्रोडक्ट्स होंगे। पतंजलि ने पिछले कुछ साल में एच.यू.एल. जैसी मल्टीनैशनल कंपनियों के सामने मजबूत चुनौती पेश की है।

पतंजलि ने बनाई अग्रैसिव एक्सपैंशन की योजना
एच.यू.एल. पतंजलि को चुनौती देने का मन बना चुकी है जबकि पतंजलि ने अग्रैसिव एक्सपैंशन की योजना बनाई है। ऐसे में नए साल में एफ.एम.सी.जी. सैग्मैंट में एक और क्लासिक कार्पोरेट वार दिख सकती है। एच.यू.एल. के पर्सनल केयर के एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर संदीप कोहली ने बताया कि आयुर्वेद का ट्रैंड बढ़ रहा है। आयुष को इस सैग्मैंट में दिलचस्पी रखने वाले ग्राहकों को अट्रैक्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।

पतंजलि ने सभी एफ.एम.सी.जी. दिग्गजों का ध्यान खींचा
पतंजलि 10 साल से कम समय में 5000 करोड़ की कंपनी बन गई है। यह 30,000 करोड़ की सालाना आमदनी वाली एच.यू.एल. के मुकाबले काफी छोटी है लेकिन बाबा रामदेव की कंपनी ने सभी एफ.एम.सी.जी. दिग्गजों का ध्यान खींचा है। बाबा ने भी अपनी महत्वाकांक्षा छिपाई नहीं है। इस साल अप्रैल में उन्होंने कहा था कि पतंजलि एच.यू.एल. की पेरैंट फर्म यूनिलीवर, कॉलगेट और नैस्ले जैसी मल्टीनैशनल कंपनियों को हरा सकती है।

आयुष ब्रैंड के तहत एच.यू.एल. उतारेगी 20 प्रोडक्ट्स 
लक्स, डव और रिन जैसे प्रोडक्ट्स बनाने वाली एच.यू.एल. टुथपेस्ट से लेकर साबुन और शैंपू कैटेगरी में 20 प्रोडक्ट्स लांच करने जा रही है। वह अपने प्रोडक्ट्स आयुष ब्रैंड के तहत बाजार में उतारेगी। आयुष को 2001 में प्रीमियम ब्रैंड के तौर पर पेश किया गया था लेकिन 2007 तक यह काफी पीछे छूट गया था। अब इसे आम लोगों के ब्रैंड के तौर पर पेश किया जा रहा है। इस ब्रैंड के तहत 30 से लेकर 130 रुपए के प्रोडक्ट्स बेचे जाएंगे। एच.यू.एल. पहले भी देसी चैलेंजर का इस तरह से मुकाबला कर चुकी है।

निरमा और व्हील की लड़ाई भारतीय कार्पोरेट इतिहास का कभी न भुलाया जाने वाला किस्सा
1980 के दशक में कर्सनभाई पटेल के डिटर्जैंट ब्रैंड निरमा ने एच.यू.एल. के सर्फ व्हील को पीछे छोड़ दिया था। तब एफ.एम.सी.जी. कंपनी ने कम कीमत का व्हील ब्रैंड लांच किया था। निरमा और व्हील की लड़ाई भारतीय कार्पोरेट इतिहास का कभी न भुलाया जाने वाला किस्सा बन चुका है।

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