Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Mar, 2018 11:02 AM
देश भर के अधिकांश राज्यों में रियल एस्टेट एक्ट (रेरा) लागू होने के बाद भी घर खरीदारों की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मोदी सरकार द्वारा यह एक्ट 1 मई 2017 से लागू किया गया लेकिन अब तक यह एक्ट सभी राज्यों में लागू नहीं हो पाया है। अब तक...
नई दिल्लीः देश भर के अधिकांश राज्यों में रियल एस्टेट एक्ट (रेरा) लागू होने के बाद भी घर खरीदारों की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मोदी सरकार द्वारा यह एक्ट 1 मई 2017 से लागू किया गया लेकिन अब तक यह एक्ट सभी राज्यों में लागू नहीं हो पाया है। अब तक केवल 8 राज्यों में ही परमानेंट रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी बन पाई है, जबकि 3 राज्यों में परमानेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल बना है। बायर्स संगठनों का कहना है कि राज्य सरकारें बिल्डर्स के दबाव में एक्ट को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। केवल महाराष्ट्र में ही बायर्स के शिकायतों पर कार्रवाई शुरू हुई है।
तय थी डेडलाइन
एक्ट में प्रोविजन किया गया था कि एक्ट को तय समय में लागू किया जाएगा। जैसे कि 31 अक्टूबर 2016 तक सभी राज्यों को एक्ट के रूल्स नोटिफाई करने होंगे। इसके साथ ही सभी राज्यों को एग्रीमेंट ऑफ सेल के रूल्स भी नोटिफाई करने होंगे। 30 अप्रैल 2017 के सभी राज्यों में रेग्युलेटरी अथॉरिटी और अपीलेट ट्रिब्यूनल बन जाएगा।
सिर्फ 8 राज्यों में बनी परमानेंट अथॉरिटी
आंकड़ों के मुताबिक, अब तक केवल 8 राज्यों ने ही परमानेंट रेग्युलेटरी अथॉरिटी बनाई है। इनमें आंध्रप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब के अलावा दो केंद्र शासित प्रदेश दादर नगर हवेली और दमन दीव में परमानेंट अथॉरिटी बन पाई है। इसके अलावा राज्यों में 30 अप्रैल 2017 तक अपीलेट ट्रिब्यूनल बन जानी चाहिए थी, लेकिन अब तक केवल तीन राज्यों गुजरात, तमिलनाडु और अंडमान निकोबार में परमानेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल काम कर रहे हैं। जबकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, केरल, तेलंगाना, हिमाचल, गोवा, असम सहित सभी छोटे राज्यों में अब तक एंटरिम ट्रिब्यूनल तक नहीं नियुक्त किए गए हैं।