शहद उत्पादन किसानों की आय दोगुनी करने में कर सकता है महत्वपूर्ण योगदान: शर्मा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Jun, 2019 04:43 PM

honey can make significant contribution in doubling the income of farmers

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में मधुमक्खीपालन का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। शहद की घरेलू और निर्यात बाजार में मांग लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन विकास समिति के सदस्य देवव्रत शर्मा ने इस बारे में...

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में मधुमक्खीपालन का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। शहद की घरेलू और निर्यात बाजार में मांग लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन विकास समिति के सदस्य देवव्रत शर्मा ने इस बारे में जानकारी दी। शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के समक्ष मधुमक्खीपालन को बढ़ावा दिए जाने के बारे में समिति ने विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया है। 

शर्मा ने बताया, ‘‘प्रधानमंत्री की वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने और वर्ष 2024 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5,000 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए अर्थव्यवस्था की विकास दर दहाई अंक में ले जाने की जरुरत होगी। उन्होंने कहा कि मधुमक्खीपालन श्रम आधारित उद्योग है और मौजूदा समय में देश में 32 लाख मधुमक्खी कॉलोनी हैं जिनसे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 10 लाख लोग जुड़े हैं। 

देश में लगभग दो करोड़ ‘बी-कॉलोनी' लगाने की जरूरत है। इससे भारी संख्या में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे और किसानों की आय बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादकता बढ़ाने में भी मधुमक्खीपालन काफी महत्वपूर्ण है जो उत्पादन में अहम माने जाने वाले ‘पर परागण' का बड़ा स्रोत है। इसके अलावा मधुमक्खीपालन के दौरान कई कीमती और अच्छी मांग वाले औषधीय उत्पाद भी तैयार होते हैं जो किसानों की आय बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। 

देश के घरेलू बाजार में होने वाले शहद कारोबार के अलावा पिछले वित्त वर्ष में देश से करीब 500 करोड़ रुपए का 61 हजार टन शहद निर्यात किया गया। चालू वित्त वर्ष के दौरान यह आंकड़ा तेजी से बढ़ने का अनुमान है। इस वर्ष लगभग 90 हजार टन शहद निर्यात की उम्मीद की जा रही है। शर्मा कहते हैं कि अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के बाद गांवों से पलायन बढ़ा है और पुरानी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ताना-बना एक तरह से लुप्त होने लगा है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान घटकर लगभग 17 प्रतिशत रह गया है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिये ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि से जुड़े छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना जरूरी है। 

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