जीएम सरसों को मंजूरी के खिलाफ किसानों की आंदोलन की धमकी

Edited By ,Updated: 27 Sep, 2016 01:53 PM

honey cultivators oppose gm mustard to protest on sept 28

देश के कई किसान संगठनों ने जीएम सरसों की खेती को मंजूरी देने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसके खिलाफ 2 अक्तूबर

नई दिल्लीः देश के कई किसान संगठनों ने जीएम सरसों की खेती को मंजूरी देने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसके खिलाफ 2 अक्तूबर, गांधी जयंती से आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। इन संगठनों ने सरकार से मांग की है कि जीएम सरसों पर जारी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर सार्वजनिक टिप्पणी के लिए अधिक समय दिया जाए और कोई निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाए।

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने कहा, ‘‘हम जीएम सरसों समेत सभी प्रकार की जीएम फसलों का विरोध करते हैं। जीएम सरसों के विरोध में लखनऊ में 2 अक्तूबर से किसान सत्याग्रह किया जाएगा।’’ मलिक ने यह भी कहा कि जीएम सरसों पर जारी रिपोर्ट को लेकर सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए कम से कम 120 दिन का समय दिया जाना चाहिए।  

गौरतलब है कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली जीन संवर्धित अभियांत्रिकी मूल्यांकन समिति (जीईएसी) की एक उपसमिति ने जीएम सरसों पर अपनी रिपोर्ट अगस्त में सरकार का सौंपी थी, जिसमें जीएम सरसों को अधिक पैदावार वाली और पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित फसल बताया गया है। जीईएसी ने इसे अपनी वैबसाइट पर डाला है और सभी संबंधित पक्षों से पांच अक्तूबर तक इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा है। 

मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक निखिल डे ने जीएम फसलों का विरोध करते हुए कहा, ‘‘सरकार का यह कदम प्रकृति को बदलने जैसा प्रयास है, जो मानव को पीढिय़ों तक नुकसान पहुंचाएगा। हम सख्ती से इसका विरोध करते हैं। सरकार ने जीएम सरसों वाली रिपोर्ट पर सार्वजनिक टिप्पणी के लिए बहुत कम समय रखा है। इसके लिए कम से कम 120 दिन तक का समय देना चाहिए।’’ 

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