आम्रपालीः बायर्स में जगी उम्मीद, 11 हजार करोड़ जुटाकर बनेंगे सभी फ्लैट

Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 May, 2019 11:10 AM

hope to wake up in buyers 11 000 crore will be built by all the flat

आम्रपाली ग्रुप की धोखाधड़ी में फंसे निवेशकों में आशा की उम्मीद जागी है। मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फरेंसिक ऑडिटरों ने न्यायालय से कहा है कि विभिन्न स्रोतों से लगभग 11 हजार करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं

नई दिल्लीः आम्रपाली ग्रुप की धोखाधड़ी में फंसे निवेशकों में आशा की उम्मीद जागी है। मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फरेंसिक ऑडिटरों ने न्यायालय से कहा है कि विभिन्न स्रोतों से लगभग 11 हजार करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं, जो परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त से अधिक है। 

एनबीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, तमाम हाउजिंग प्रॉजेक्ट को पूरा करने में 8,500 करोड़ रुपए की लागत आएगी। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में फंसे 46,575 फ्लैटों का निर्माण करने का जिम्मा एनबीबीसी को दिया है। 

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खरीदारों से मिल सकते हैं 321 करोड़ रुपए 
ऑडिटर पवन कुमार अग्रवाल तथा रवि भाटिया ने कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मकान के खरीदारों सहित विभिन्न लोगों से 11,524 करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं। कई बायर्स ने फ्लैट के पूरे पैसे जमा नहीं कराए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रुप ने 5,856 फ्लैट कम कीमतों में बेचे हैं और ऐसे खरीदारों से 321 करोड़ रुपए से अधिक रकम जुटाई जा सकती है। 

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निजी जरूरतों के लिए 456 करोड़ डायवर्ट 
46 पंजीकृत कंपनियों, आम्रपाली समूह की मुखौटा कंपनियों और इसके निदेशकों के बैंक खातों की फरेंसिक ऑडिट के बाद कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने वाले ऑडिटरों ने कहा है कि प्रमोटर्स और डायरेक्टरों ने पैसों का इस्तेमाल निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया और यह रकम (लगभग 455.91 करोड़ रुपए ) भी उनसे वसूली जा सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, आम्रपाली के सीएमडी अनिल कुमार शर्मा तथा अन्य चार निदेशकों- शिव प्रिया, अजय कुमार, सुभाष चंद्र कुमार तथा अमरेश कुमार ने कंपनी से 67.13 करोड़ रुपए प्रफेशनल फीस के रूप में लिए, जिसके वे हकदार नहीं थे। 

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1,446 करोड़ का फर्जी बिल 
रिपोर्ट के मुताबिक, सीएमडी अनिल शर्मा ने निजी इस्तेमाल के लिए लगभग 37 करोड़ रुपए अपने खाते में डायवर्ट किए, जबकि शिव प्रिया और अजय कुमार ने क्रमशः 18 करोड़ रुपए और 8.2 करोड़ रुपए डायवर्ट किए। ऑडिटरों ने कोर्ट से यह भी कहा कि आम्रपाली को कंस्ट्रक्शन मटीरियल उपलब्ध कराने के लिए कई कंपनियों को भुगतान किया गया था, जिसका 1,446 करोड़ का बिल फर्जी (मटीरियल सप्लाई ही नहीं हुई) पाया गया है। 

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