धन की तंगी बढ़ाएगा आवास बैंक का फैसला, कर्ज की वैकल्पिक सुविधा करे सरकारः रीयल्टी कंपनियां

Edited By Supreet Kaur,Updated: 24 Jul, 2019 11:36 AM

housing bank decision to increase the financial burden

जमीन, मकान के विकास से जुड़ी रीयल्टी कंपनियों ने कहा कि आवास ऋण पर ब्याज सहायता योजना में धोखाधड़ी रोकने के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) के ताजा आदेश से आवास विकास परियोजनाओं के लिए धन की तंगी और बढ़ेगी। रियल्टी कंपनियों ने क.......

नई दिल्लीः जमीन, मकान के विकास से जुड़ी रीयल्टी कंपनियों ने कहा कि आवास ऋण पर ब्याज सहायता योजना में धोखाधड़ी रोकने के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) के ताजा आदेश से आवास विकास परियोजनाओं के लिए धन की तंगी और बढ़ेगी। रियल्टी कंपनियों ने कहा है कि यह क्षेत्र पहले से ही धन की तंगी से गुजर रहा है और इस स्थिति में कंपनियों के लिए कर्ज की वैकल्पिक सुविधा किए जाने का सरकार को सुझाव दिया है।

उल्लेखनीय है कि एनएचबी ने आवास वित्त कंपनियों से ब्याज सहायता योजना के तहत ऐसी योजनाओं को कर्ज की पेशकश से अलग रखने को कहा है जहां रीयल एस्टेट डेवलपर कंपनियां निश्चित अवधि के लिए मकान खरीदारों की तरफ से ‘प्री-ईएमआई' (ईएमआई शुरू होने से पहले) की अवधि के ब्याज के भुगतान की पेशकश करती हैं। राष्ट्रीय आवास बैंक ने आवास वित्त कंपनियों को कहा है कि वे डेवलपर कंपनियों को आवास ऋण का भुगतान निर्माण की स्थिति के आधार पर करना चाहिए।

इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में नेशनल रीयल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के अध्यक्ष (राष्ट्रीय) नीरंजन हीरानंदानी ने एक बयान में कहा, ‘‘धोखाधड़ी रोकने के इरादे से एनएचबी का यह कदम स्वागत योग्य है। हालांकि इससे परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण और कम हो जाएगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार की योजनाओं में धोखाधड़ी निश्चित रूप से रोके जाने की जरूरत है लेकिन वैकल्पिक कर्ज की व्यवस्था नहीं होने के कारण ऐसी योजनाओं की ओर झुकाव बढ़ा है। ऐेसे में ब्याज सहायता योजना की तर्ज पर वैकल्पिक वित्त पोषण की व्यवस्था करने की आवश्यकता है।'' नारेडको के उपाध्यक्ष (महाराष्ट्र) तथा एकता वर्ल्ड के चेयरमैन अशोक मोहनानी ने भी कहा, ‘‘डेवलपर बैंकों के साथ गठजोड़ कर रीयल एस्टेट कंपनियां ब्याज सहायता योजना की पेशकश करती हैं। इससे ग्राहक आकर्षित होते हैं। एनएचबी की घोषणा से बाजार प्रभावित होगा क्योंकि यह योजना खासकर किराये पर रहने वाले मकान खरीदारों के साथ अन्य के लिये भी फायदेमंद है। योजना से मकान खरीदारों पर ब्याज का बोझ कम होता है।''

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