हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों पर नगदी संकट की बड़ी मार, वित्तीय कंपनियों की हालत खस्ता

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Nov, 2018 02:31 PM

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हाल के दिनों में भारतीय बाजार में हुई उठापटक के दौरान हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इस क्षेत्र में विकास की तमाम संभावनाएं हैं लेकिन आने वाले दिनों में इसकी राह मुश्किलों भरी है।

नई दिल्लीः हाल के दिनों में भारतीय बाजार में हुई उठापटक के दौरान हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इस क्षेत्र में विकास की तमाम संभावनाएं हैं लेकिन आने वाले दिनों में इसकी राह मुश्किलों भरी है।

पिछले दिनों विभिन्न आर्थिक कारकों की वजह से भारतीय बाजार में भारी हाहाकार रहा है। इस दरम्यान हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। देश के इस सेक्टर में ऐसे कई सारथी मौजूद हैं जिनमें इसकी रफ्तार को कई गुना तक बढ़ाने की क्षमता है लेकिन अभी उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। 

वित्तीय कंपनियों की हालत खस्ता
मौजूदा परिदृश्य में देखें तो इस क्षेत्र की समस्या जल्द दूर होने वाली नहीं है। इसके आगे का सफर अभी कांटों भरा साबित हो सकता है। दरअसल, वित्त से जुड़ी कंपनियों का कारोबार इसकी साख से जुड़ा होता है। इस साख को बनाने में  बरसों का समय लग जाता है जबकि मामूली सी चूक से यह तार-तार हो जाती है। पिछले दिनों कुछ कंपनियों के साथ भुगतान में चूक के कारण ही इन्हें भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है।

होम फाइनेंस कंपनियों का मुख्य कारोबार बैंकों और बांड के जरिए पूंजी जुटाकर जरूरतमंदों को कर्ज बांटना होता है। इन कंपनियों की बैंकों की तुलना में पहुंच ज्यादा मजबूत होती है, इसीलिए इनका कारोबार तेजी से बढ़ता है। व्यापक नेटवर्क की वजह से इनका कर्ज वसूली का अनुपात भी बेहतर है। अब इनका कारोबार बुरी तरह से कुंद हो गया है जबकि होम लोन के कारोबार में वृद्धि की भारी संभावनाएं हैं। 

घर लेने वालों की मांग में इजाफा
कुछ ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से मकानों की दबी हुई मांग बढ़ती जा रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में होम लोन का योगदान महज छह फीसदी है, जबकि घरेलू क्षेत्र का सकल कर्ज 11 फीसदी के स्तर पर है।

चीन का घरेलू क्षेत्र के सकल कर्ज का योगदान 48 फीसदी, इंडोनेशिया का 17 फीसदी और थाईलैंड के 68 फीसदी की तुलना में यह काफी कम है। इसी तरह लोग अपनी बचत दर की क्षमता के मुकाबले सिर्फ 11 फीसदी ही कर्ज ले रहे हैं जो जीडीपी के 16.5 की औसत क्षमता की तुलना में काफी कम है। सकल कर्ज में होम लोन के अलावा क्रेडिट कार्ड कर्ज, वाहन कर्ज इत्यादि शामिल होते हैं।

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