70 सालों में पहली बार देश में कैश की भारी कमी, नोटबंदी-GST से बदले हालातः नीति आयोग

Edited By Supreet Kaur,Updated: 23 Aug, 2019 10:56 AM

huge shortage of cash due to demonetization and gst says niti aayog

आर्थिक मंदी को लेकर चिंता के बीच नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि सरकार को ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों की आशंकाओं को दूर किया जा सके और वे निवेश  के लिए प्रोत्साहित हों। राजीव कुमार ने कहा कि किसी ने भी पिछ...

बिजनेस डेस्कः आर्थिक मंदी को लेकर चिंता के बीच नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि सरकार को ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों की आशंकाओं को दूर किया जा सके और वे निवेश  के लिए प्रोत्साहित हों। राजीव कुमार ने कहा कि किसी ने भी पिछले 70 साल में ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया जब पूरी वित्तीय प्रणाली जोखिम में है।  उनके मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी के बाद यह स्थिति पैदा हुई है।
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नकदी में आई कमी
कुमार ने आगे कहा कि आज कोई किसी पर भी भरोसा नहीं कर रहा है। प्राइवेट सेक्टर में कोई भी कर्ज देने को तैयार नहीं है, हर कोई नकदी दबाकर बैठा है। इसके साथ ही उन्होंने ने सरकार को लीक से हटकर कुछ कदम उठाने की सलाह दी। राजीव कुमार के मुताबिक नोटबंदी, जीएसटी और आईबीसी (दिवालिया कानून) के बाद हालात बदल गए हैं। पहले 35 फीसदी नकदी घूम रही थी, यह अब बहुत कम हो गई है। इन सब कारणों से एक जटिल स्थिति बन गई है। इसका कोई आसान उत्तर नहीं है।
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2014 के बाद बढ़ा NPA
अर्थव्यवस्था में सुस्‍ती को लेकर नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि पूरी स्थिति 2009-14 के दौरान बिना सोचे-समझे दिए गए कर्ज का नतीजा है। इससे 2014 के बाद गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) बढ़ी है। उन्होंने कहा कि फंसे कर्ज में वृद्धि से बैंकों की नया कर्ज देने की क्षमता कम हुई है। इस कमी की भरपाई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने की। इनके कर्ज में 25 फीसदी की वृद्धि हुई। एनबीएफसी कर्ज में इतनी वृद्धि का प्रबंधन नहीं कर सकती और इससे कुछ बड़ी इकाइयों में भुगतान असफलता की स्थिति उत्पन्न हुई। अंतत: इससे अर्थव्यवस्था में नरमी आई।
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पैरों पर खड़ा होना सीखे प्राइवेट सेक्टरः कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन
दूसरी ओर मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर को सरकार से मदद मांगने की बजाय अपने पैरों पर खड़ा होना सीखना चाहिए। 1991 से सुधारों की प्रक्रिया से प्राइवेट सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। वह कोई बच्चा नहीं जो पिता से मदद मांगता रहे। उन्होंने यह भी कहा कि मुनाफे को दबाने और घाटे को सामाजिक मुद्दा बनाने की मानसिकता बदलने की जरूरत है। सुब्रमणियन ने अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत के लिए यूपीए सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने पर्याप्त सुधार नहीं किए। लेकिन, मौजूदा सरकार मजबूती से ग्रोथ पर फोकस कर रही है।
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