ICAI ने सरकार के आदेश के बाद बारी-बारी से ऑडिटर बदलने संबंधी घोषणा ली वापस

Edited By Isha,Updated: 16 Feb, 2019 05:03 PM

icai returned the announcement of turnover of auditor after the government order

देश में चार्टर्ड एकाउंटेंट की शीर्ष संस्था आईसीएआई ने शुक्रवार को कंपनियों में लेखाकारों के बारी-बारी से काम करने के नियम संबंधी अपनी घोषणा को तुरंत प्रभाव से वापस ले लिया। संगठन ने कारपोरेट कार्य मंत्रालय के निर्देश के बाद यह फैसला लिया। मंत्रालय...

नई दिल्लीः देश में चार्टर्ड एकाउंटेंट की शीर्ष संस्था आईसीएआई ने शुक्रवार को कंपनियों में लेखाकारों के बारी-बारी से काम करने के नियम संबंधी अपनी घोषणा को तुरंत प्रभाव से वापस ले लिया। संगठन ने कारपोरेट कार्य मंत्रालय के निर्देश के बाद यह फैसला लिया। मंत्रालय ने भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) से तुरंत प्रभाव से इस घोषणा को वापस लेने के लिये कहा। मंत्रालय की ओर से कभी कभार ही दिये जाने वाले इस तरह के आदेश में मंत्रालय ने घोषणा की वजह भी पूछी है।

आईसीएआई ने 29 जनवरी को कंपनियों में सनदी लेखाकारों को बदलकर रखने जाने की अपनी घोषणा पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि यह कदम कंपनी कानून 2013 के तहत उठाया गया है। कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा लागू किये गये कंपनी कानून के तहत कुछ खास श्रेणियों की कंपनियों को अपने चार्टर्ड एकाउंटेंट को बारी बारी से बदलते रहना होगा। इसमें लेखाकारों के लिये कंपनियों से जुड़े रहने के बीच फासला बनाये रखने का भी समय रखा गया है। शुक्रवार को जारी एक संदेश में आईसीएआई ने कहा है कि बारी बारी से चार्टर्ड एकाउंटेंट को रखे जाने के बारे में 29 जनवरी को जारी स्पष्टीकरण संबंधी घोषणा को वापस ले लिया गया है। यह कदम कारपोरेट कार्य मंत्रालय से आये पत्र के बाद जारी किया गया। पत्र में आईसीएआई से घोषणा को वापस लेने के लिये कहा गया था।

पत्र में कहा गया है, ‘‘ एतत द्वारा यह स्पष्ट किया जाता है कि कंपनी अधिनियम के किसी भी प्रावधान के बारे में कोई भी स्पष्टीकरण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस मामले में आईसीएआई को न तो इसका अधिकार है और न ही वह इस तरह के स्पष्टीकरण जारी करने में सक्षम प्राधिकरण है। खासतौर से तब जबकि इस संबंध में उसने पहले मंत्रालय के साथ कोई विचार विमर्श नहीं किया है। मंत्रालय ने आईसीएआई से इस तरह की घोषणा जारी करने के वजह भी जाननी चाही है। मंत्रालय की मंजूरी के बिना इस तरह की घोषणा करने के पीछे का कारण कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने पूछा है।

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