टीसीएस खत्म करने पर हो सकता है विचार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Aug, 2018 11:45 AM

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अगर ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए तैयार की गई मसौदा नीति के प्रस्तावों को लागू किया जाता है तो इस क्षेत्र के कारोबारियों के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दौर के तहत प्रस्तावित स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) से छुटकारा मिल सकता है।

नई दिल्लीः अगर ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए तैयार की गई मसौदा नीति के प्रस्तावों को लागू किया जाता है तो इस क्षेत्र के कारोबारियों के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दौर के तहत प्रस्तावित स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) से छुटकारा मिल सकता है। समिति के प्रस्ताव में कहा गया है कि टीसीएस पर फिर से विचार होना चाहिए। कारोबारियों के लिए इसका मतलब इस अवधारणा को पूरी तरह खत्म करने को लेकर है। टीसीएस की दर 1 प्रतिशत तक हो सकती है, जिसे अभी लागू किया जाना है। अभी इसे इस साल सितंबर तक के लिए टाल दिया गया है।  

ऑनलाइन मार्केटप्लेस शॉपक्लूज के एक प्रवक्ता ने कहा, 'न सिर्फ ई-कॉमर्स कंपनियों के फायदे के लिए, बल्कि एमएसएमई और विक्रेता के लिए भी यह जरूरी है, जो बहुत कम मुनाफे (2.5 प्रतिशत तक) पर काम कर रहे हैं। टीसीएस का मतलब होगा कि एक बड़ी कार्यशील पूंजी फंस जाएगी।' उन्होंने कहा कि हालांकि टीसीएस पर कारोबारी को क्रेडिट उपलब्ध होगा लेकिन इससे नकदी प्रभावित होगी। जीएसटी कानून में टीसीएस है क्योंकि अधिकारियों का मानना है कि इससे जो लोग अपने माल की ऑनलाइन बिक्री कर रहे हैं, उन पर इसके माध्यम से नजर रखने में मदद मिलेगी। 

बहरहाल ई-कॉमर्स कंपनियों का कहना है कि वे केवल सुविधाप्रदाता हैं और उन पर कर अनुपालन का बोझ नहींं डाला जाना चाहिए। बहरहाल कर विशेषज्ञों की इस पर अलग राय है। डेलॉयट हस्किंस ऐंड सेल्स के वरिष्ठ निदेशक अतुल गुप्ता का कहना है, 'ई-कॉमर्स कारोबारी सरकार की ओर से कर संग्राहक बनने के अपने दायित्वों से नहीं बच सकते।' उनका कहना है कि ई-कॉसर्म का तर्क बेहतर नहीं है और खुदरा कारोबारी भी कह सकते हैं कि वे अन्य लोगों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की केवल बिक्री कर रहे हैं। 

बहरहाल गुप्ता का कहना है कि अनुपालन का बोझ जरूर कम किए जाने की जरूरत है। इस सिलसिले में समिति ने सिफारिश की है कि कई जगह पंजीकरण के बजाय एक केंद्रीकृत पंजीकरण की जरूरत है, जबकि अभी जीएसटी के तहत हर राज्य में उन्हें पंजीकरण कराना होगा, जहां उनके गोदाम हैं। इसकी मांग अन्य सेवा प्रदाताओं जैसे बैंकिंग और आईटी की ओर से भी की जा रही है। केंद्र सरकार जहां केंद्रीय पंजीकरण के पक्ष में है, राज्य सरकारें इसके खिलाफ हैं। शॉपक्लूज के प्रवक्ता ने कहा कि टीसीएस संबंधी प्रावधान लागू होने के बाद 20 लाख रुपये से कम कारोबार वाले आपूर्तिकर्ता को भी ऑनलाइन लेन देन के लिए पंजीकरण कराने की जरूरत होगी।
 

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