भारत की अर्थव्यवस्था दर 7% से बढ़ रही तो बुरी तरह से प्रभावित क्यों?

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 May, 2019 05:41 PM

if india s economy is growing by 7 then why is it badly affected

होंडा कार इंडिया (एच.सी.आई.एल.) के बिक्री और विपणन निदेशक राजेश गोयल काफी खुश हैं कि उन्होंने भारत के ऑटो उद्योग को काफी उत्साहित किया है और कई उल्लेखनीय काम किए हैं। बताया जाता है कि होंडा कार की बिक्री मार्च में 27 प्रतिशत तक बढ़ी

नई दिल्ली: होंडा कार इंडिया (एच.सी.आई.एल.) के बिक्री और विपणन निदेशक राजेश गोयल काफी खुश हैं कि उन्होंने भारत के ऑटो उद्योग को काफी उत्साहित किया है और कई उल्लेखनीय काम किए हैं। बताया जाता है कि होंडा कार की बिक्री मार्च में 27 प्रतिशत तक बढ़ी थी और 2018-19 में इसकी बिक्री 8 प्रतिशत तक बढ़ गई थी जोकि उद्योग में दूसरी सबसे ऊंची दर है। मगर अब स्थिति विपरीत है। उद्योग बिक्री के मामले में मंदी के दौर से गुजर रहा है। मार्च में यात्री वाहनों की बिक्री 2.96 प्रतिशत तक गिरी। वर्ष 2018-19 के लिए यह बिक्री मामूली से 2.7 प्रतिशत बढ़ी। इस पर गोयल ने सभी को चौंका दिया है। उनका सुर निराशाजनक और मूड खुशी वाला दिखाई नहीं दिया। वह विचलित हैं। उनका कहना है कि बिक्री क्यों धीमी हो गई है। आगामी दिनों में स्थिति काफी कठिन हो सकती है। होंडा कारों की बिक्री 2018-19 में नई अमेज गाड़ी के कारण बढ़ी थी, जिसका कुल बिक्री में 46 प्रतिशत योगदान था। उनको इस वर्ष यह खुशी आंशिक दिखाई देने लगी है। 

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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2019-20 की 4 तिमाहियों में 2 तिमाहियां काफी कठिन होने की उम्मीद है। पहली तिमाही में बिक्री की कमी का कारण चल रहे चुनाव हैं और चौथी तिमाही कठिन होगी क्योंकि जब बीएस-सिक्स में बदलाव जोकि नए उत्सर्जन नियम बनाए गए हैं। 1 अप्रैल 2020 से बी.एस.-फोर कारों की रजिस्ट्रेशन नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सभी कंपनियों को अपनी सूची पूरी तरह तैयार करने की योजना बनानी होगी। यह उनके लिए आसान काम नहीं होगा। अधिकतर कंपनियां किसी तरह की गलती होने से बचाव का प्रयास करेंगी। 

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नजर आ रहा बहुस्तरीय संकट
गोयल ने भारत के 4.8 लाख करोड़ रुपए के ऑटोमोबाइल उद्योग के मूड को भांप लिया है। यह उद्योग जोकि 3.70 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है, देश की जी.डी.पी. में 7.5 प्रतिशत और विनिर्माण जी.डी.पी. में 49 प्रतिशत का योगदान देता है, पर एक बहुस्तरीय संकट नजर आ रहा है। एस.आई.ए.एम. के डायरैक्टर जनरल विष्णु माथुर ने कहा है कि उद्योग का प्रत्येक वर्ग आहत है। मार्च में लगभग प्रत्येक क्षेत्र की बिक्री बढऩे के आंकड़े लाल निशान पर हैं। यात्री वाहनों ने (-2.96 प्रतिशत), कमर्शियल वाहन ने (0.28 प्रतिशत), दोपहिया वाहन ने (-17.31 प्रतिशत) और  तिपहिया वाहनों ने (-8.54 प्रतिशत) कम बिक्री रजिस्टर्ड की है। इसके अलग-अलग कारण हैं। 2018-19 में इसका निर्यात 9.64 प्रतिशत कम हुआ है।  

मोटाऊन इंडिया के मुताबिक इस लडख़ड़ाती बिक्री से सभी कंपनियों पर प्रभाव पड़ा है। उद्योग की वाॢषक बिक्री सकारात्मक रूप से 2.70 प्रतिशत बढ़ी है। 17 कार कंपनियों में से 10 को भारत की सड़कों पर जगह के लिए धक्का लगाना पड़ता है, जिससे नकारात्मक बिक्री बढ़ती है। इसके साथ औसतन वाॢषक बिक्री भी 2018 में उतार-चढ़ाव पूर्ण रही। सितम्बर में यह बिक्री 5 प्रतिशत से भी अधिक दर से कम हुई। नवम्बर में जबकि फैस्टीवल होते हैं और बिक्री सबसे अधिक होती है इस दौरान भी बिक्री 3 प्रतिशत गिर गई। दोपहिया वाहनों की बिक्री भी कम हुई। मार्च में ऐसी पांच प्रमुख कंपनियों की बिक्री औसतन 24 प्रतिशत गिर गई। 

हीरो मोटोकॉर्प की बिक्री -21.5 प्रतिशत, होंडा मोटरसाइकिल और स्कूटर इंडिया (एच.एम.एस.आई.) की -46.73 प्रतिशत, टी.वी.एस. मोटर कंपनी की -6.58 प्रतिशत और रायल फील्ड की सेल्स ग्रोथ -21 प्रतिशत दर्ज की गई। एच.एम.एस.आई. के सीनियर वाइस प्रैजीडैंट यादविंद्र सिंह गुलेरिया ने कहा कि उन्हें याद नहीं कि आखिरी बार इस तरह बिक्री कब गिरी थी।  

दूसरी तरफ बजाज ऑटो का कारोबार अलग ही रहा। इसकी वाॢषक घरेलू बिक्री 29 प्रतिशत बढ़ी। एच.सी.आई.एल. के गोयल की तरह बजाज के राजीव बजाज भी खुश नहीं हैं। इस महीने उन्होंने एक अंग्रेजी समाचार पत्र को एक इंटरव्यू में कहा कि कोई नहीं जानता यह वृद्धि कब वापस लौटेगी। उन्होंने कहा कि जब भारत की अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत से अधिक बढ़ रही है तो ऑटो उद्योग इतना नुक्सान कैसे पहुंचा रहा है? इसका जवाब कुछ हद तक तूफान में है, जिसने उद्योग के क्षितिज को प्रभावित किया है। 

अमरीका-चीन ट्रेड वार का क्या होगा भारतीय ऑटो इंडस्ट्री पर असर
अमरीका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर की मार भारत को भी झेलनी पड़ रही है। इस वार का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पडऩे की आशंका है। शेयर बाजार सहित इसका असर हर जगह दिखाई  देने लगा है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चीन को ट्रेड वॉर खत्म करने की चेतावनी दे चुके हैं। अमरीका की नाराजगी चीन की वन चाइना पॉलिसी को लेकर है। अब ट्रम्प ने साफ कर दिया है कि यदि चीन ट्रेड वॉर को खत्म करने का कोई जरिया नहीं तलाशता है तो इस शुक्रवार से चीनी उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया जाएगा। ट्रम्प के इस ट्वीट का असर चीन ही नहीं एशिया और यूरोप के शेयर बाजारों तक दिखाई दिया है।

37,590 से नीचे आया सैंसेक्स 
ट्रेड वॉर की वजह से वीरवार को भारतीय बाजारों का मूड खराब है। शेयर बाजार में चौतरफा बिकवाली देखने को मिली। प्रमुख सूचकांक सैंसेक्स शुरूआती कारोबार में 37,590 के स्तर पर आ गया जबकि निफ्टी भी लगभग इसी समय 60.35 अंकों की कमजोरी के साथ 11,295 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। शुरूआती कारोबार में रिलायंस के शेयर 2 फीसदी से अधिक टूट गए, जबकि एन.टी.पी.सी., एच.सी.एल., पावरग्रिड, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एच.डी.एफ.सी. बैंक, कोल इंडिया और आई.टी.सी. के शेयर भी लाल निशान पर कारोबार करते देखे गए।

भारत की चिंता
ट्रेड वॉर के साथ-साथ भारत की ङ्क्षचता कच्चे तेल के सौदे को लेकर बनी हुई है। अमरीका ईरान से तेल खरीद को लेकर प्रतिबंध लगा चुका है। अमरीका भारत के साथ तेल का सौदा करना चाहता है लेकिन अमरीका ने भारत को सस्ती दर पर तेल बेचने से हाथ खींच लिए हैं क्योंकि दिल्ली आए अमरीकी वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने कहा है कि अमरीका भारत को सस्ते तेल की बिक्री का भरोसा नहीं दे सकता। यहां पर यह भी ध्यान रखना होगा कि अमरीका ने भारत से जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रैफरैंसेज (जीएसपी) कार्यक्रम के लाभार्थी का दर्जा वापस ले लिया है। इसकी वजह से भारत को नुक्सान उठाना पड़ा है। 

बिक्री में अवरोध
इसके कई पहलू हैं। उद्योग और मार्कीट नीति निर्धारण की चुनौतियां देखने वाली हैं। साथ ही मैक्रो-इकोनॉमिक कारकों से लेकर गरीब उपभोक्ता भावनाओं तक ने डैंट सेल में बढ़त बनाई है। पहले हम अल्प विधि फैक्टर देते हैं। पिछले वर्ष केरल में आई बाढ़ का बिक्री पर प्रभाव पड़ा। इसके बाद इंश्योरैंस रैगुलेटरी आई.आर.डी.ए.आई. की इंश्योरैंस कवर पर नीति में बदलाव। उदाहरण के लिए मोटरसाइकिल के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरैंस करवाना है तो उसके लिए 5 साल का एडवांस देना होगा। पहले यह पेमैंट एक साल की होती थी। इससे दोपहिया वाहनों की इंश्योरैंस 14 प्रतिशत बढ़ गई है, जिसका बिक्री पर प्रभाव पड़ा है। यह बात सी.आर.आई.एस.आई.एल. रिसर्च के डायरैक्टर हेताल गांधी ने कही।  एन.बी.एफ.सी. में कड़ी तरलता ने उद्योग के लिए स्थिति और कठिन बना दी है। यहां फाइनांस करने वाली कंपनियों को निर्णायक भूमिका निभानी होगी। नई कारें 80 प्रतिशत फाइनांस के जरिए बेची जाती हैं।

मार्कीट एंड मार्कीट (एक मार्कीट रिसर्च फर्म) के एसोसिएट डायरैक्टर अनिल शर्मा ने कहा है कि इस असंभावित घटनाक्रम का अर्थ है जो फैस्टीवल सीजन के लिए अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए तैयारियां करते हैं और लुभावने वायदे करते हैं शहरी भारत अब जॉब मार्कीट के कठिन दौर से गुजर रहा है। अब वहां खामोशी है। देहाती भारत में किसान की समस्या से कारोबार आहत है। कृषि उत्पाद 60 प्रतिशत से अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दर पर बेचा जा रहा है, जिससे खरीददारी कम हो रही है। नई चीजें बिक्री की सूची में लगातार बढ़ रही हैं, जिससे हर कोई आहत है विशेषकर डीलर। भारत अधिकांश रूप से 2 स्पीड गति वाला बाजार है। देहात आहत होता है तो शहरी बाजार उसकी पूॢत करता है। 

इस समय देहाती और शहरी दोनों ही इस घटनाक्रम से आहत हैं। मार्कीट इंटैलीजैंस कंपनी के एसोसिएट डायरैक्टर पुनीत गुप्ता का कहना है कि एक लंबे समय से मोटाऊन पर काले बादल मंडरा रहे हैं। बहुचरणीय नीतियों के कारण बिक्री बुरी तरह प्रभावित है। नोटबंदी और जी.एस.टी. जैसी कुछ नीतियों ने बड़े पैमाने पर भारत के आधारभूत ढांचे को प्रभावित किया है लेकिन कुछ अन्य कारण भी हैं जिन्होंने इस उद्योग को चोट पहुंचाई है। उदाहरण के लिए प्रदूषण की रोकथाम के नियम। 2016 में एन.डी.ए. सरकार ने 1 अप्रैल 2020 से बी.एस.-फोर से बी.एस.-6 उत्सर्जन नियम लागू करने का फैसला किया था। इसके लिए इंडस्ट्री अब 70 हजार करोड़ रुपए निवेश कर रही है। 2017 में वैश्विक लहर से पीड़ित सरकार ने घोषणा की थी कि भारत 2030 तक सौ प्रतिशत इलैक्ट्रिक वाहन चलाने वाला देश बन जाएगा, जिससे ऑटो इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया। बाद में इस आघात को कम किया गया।  

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