Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Jul, 2019 10:28 AM
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेतली ने ऐसे संकेत दिए हैं कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जी.एस.टी.) के राजस्व में सुधार होने पर आगे चल कर 12 और 18 प्रतिशत दरों को मिला कर एक किया जा सकता है। इसके बाद जी.एस.टी. में सिर्फ 2 टैक्स स्लैब ही रह जाएंगे।
नई दिल्लीः पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेतली ने ऐसे संकेत दिए हैं कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जी.एस.टी.) के राजस्व में सुधार होने पर आगे चल कर 12 और 18 प्रतिशत दरों को मिला कर एक किया जा सकता है। इसके बाद जी.एस.टी. में सिर्फ 2 टैक्स स्लैब ही रह जाएंगे।
एक्सपर्ट का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो इससे न सिर्फ बिजनैस की लागत घटेगी, बल्कि इसका फायदा कस्टमर्स को मिलने से देश में कंजम्पशन स्टोरी में भी तेजी आएगी जो बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है।
टैक्स कनैक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के को-फाऊंडर विवेक जालान का कहना है कि ऐसे संकेत हैं कि आगे चलकर जी.एस.टी. के 2 स्लैब को मिलाकर एक स्लैब 15 प्रतिशत का तैयार हो। अभी ज्यादातर गुड्स एंड सर्विसेज 18 प्रतिशत की कैटेगरी में आते हैं, इसलिए 15 प्रतिशत का नया स्लैब बनने से बिजनैस की लागत घटेगी। इसका फायदा कम्पनियां कंज्यूमर्स को दे सकती हैं। अगर कंज्यूमर्स को सस्ता सामान मिलेगा तो निश्चित तौर पर कंजम्पशन को बूस्ट मिलेगा।
इकोनॉमी को मिल सकता है बूस्ट
जालान का कहना है कि मौजूदा दौर में देश की अर्थव्यवस्था सुस्ती के संकेत दे रही है, ऐसे में यह एक राहत भरा कदम हो सकता है। ऐसे में जब डिमांड सुस्त है, सरकार का फोकस भी कंजम्पशन को मजबूत करने पर है। इससे न सिर्फ इंडस्ट्री को राहत मिलेगी, बल्कि रोजगार बढ़ाने में भी यह कारगर होगा। इससे इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा। बता दें कि घटते रोजगार को लेकर भी सरकार की लगातार आलोचना होती रही है।