टैक्स का नया सिस्टम चुनना है तो जरूर जानें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का स्पष्टीकरण

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Apr, 2020 05:28 PM

if you want to choose a new tax  then definitely know the explanation

देश में नया इनकम टैक्स स्लैब 1 अप्रैल 2020 से लागू हो गया है। सरकार द्वारा नई टैक्स स्लैब की दरों को वैकल्पिक रखा गया है। अगर किसी करदाता को पुराने स्लैब से ज्यादा फायदा हो रहा है, तो वो उसे दाखिल कर सकता है।

बिजनेस डेस्कः देश में नया इनकम टैक्स स्लैब 1 अप्रैल 2020 से लागू हो गया है। सरकार द्वारा नई टैक्स स्लैब की दरों को वैकल्पिक रखा गया है। अगर किसी करदाता को पुराने स्लैब से ज्यादा फायदा हो रहा है, तो वो उसे दाखिल कर सकता है। आयकर विभाग ने उन लोगों के लिए एक स्पष्टीकरण जारी किया है, जो बजट 2020 में घोषित किए गए नए टैक्स स्लैब का चयन करना चाहते हैं।   

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को टैक्स के नए या पुराने विकल्प में से किसका चयन करना चाहिए यह इस बात पर निर्भर करता है कि कैलकुलेशन के बाद उन्हें किस विकल्प में ज्यादा टैक्स बच रहा है।

नई टैक्स व्यवस्था में ये हैं टैक्स रेट्स
नए टैक्स रेट्स के मुताबिक, 2.5 लाख रुपए तक आमदनी पर कोई आयकर नहीं, 2.5 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक आमदनी पर 5%, 5 लाख रुपए से लेकर 7.5 लाख रुपए तक आमदनी पर 10%, 7.5 लाख रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक आमदनी पर 15%, 10 लाख रुपए से लेकर 12.5 लाख रुपए की आमदनी पर 20%, 12.5 लाख रुपए से लेकर 15 लाख रुपए की आमदनी पर 25% तथा 15 लाख रुपए से लेकर इससे ऊपर की आमदनी पर 30% का टैक्स तय किया गया है।

आयकर विभाग का स्पष्टीकरण
1. जिन एंप्लॉयी का बिजनेस या किसी प्रोफेशन से इनकम नहीं होता है, उन्हें सैलरी से टीडीएस कटौती को लेकर अपने एंप्लॉयर को टैक्स के नए विकल्प के चयन के बारे में जानकारी पहले दे देनी होगी।
2. अगर कोई एंप्लॉयी टैक्स का नया विकल्प नहीं चुन रहा है तो उसे पहले की ही तरह पुराने टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स देना होगा।
3. अगर एंप्लायी टीडीएस कटौती को लेकर अपने एंप्लॉयर को टैक्स के नए सिस्टम को चुनने की जानकारी दे देता है, तो वह एक साल तक पुराने सिस्टम को नहीं अपना सकता है।
4. हालांकि, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा है कि कर्मचारी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते वक्त टैक्स के नए या पुराने दोनों सिस्टम्स में से किसी एक का चयन कर सकता है और इसी के आधार पर उनका टीडीएस कटेगा। इस तरह यह स्पष्ट है कि अगर आप टीडीएस कटौती के लिए अपने एंप्लॉयर को टैक्स के नए सिस्टम को अपनाने की जानकारी देते हैं तो आप रिटर्न भरते वक्त अपना फैसला बदल सकते हैं और टैक्स का पुराना सिस्टम अपना सकते हैं।

इकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा, 'एंप्लॉयर टोटल सैलरी कैलकुलेट करने के बाद आयकर अधिनियम के सेक्शन 115BAC के प्रावधान के मुताबिक टीडीएस कटौती करेगा। अगर किसी एंप्लॉयी ने टैक्स का नया विकल्प चुनने के बारे में कोई सूचना नहीं दी है तो एंप्लायर आयकर अधिनियम के सेक्शन 115BAC के प्रावधान पर कोई विचार किए बिना टीडीएस काट सकता है।' 
 

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