Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Mar, 2019 11:40 AM
IL&FS के 13 हजार करोड़ रुपए से अधिक के लेनदेन में हितों के टकराव, नाकाफी रिस्क मैनेजमेंट और बैंकिंग नियमों के उल्लंघन जैसी गड़बड़ियां हो सकती हैं। ऑडिट कंपनी ग्रांट थॉर्नटन इंडिया ने वित्तीय संकट से घिरे इस इंफ्रास्ट्रक्चर
मुंबईः IL&FS के 13 हजार करोड़ रुपए से अधिक के लेनदेन में हितों के टकराव, नाकाफी रिस्क मैनेजमेंट और बैंकिंग नियमों के उल्लंघन जैसी गड़बड़ियां हो सकती हैं। ऑडिट कंपनी ग्रांट थॉर्नटन इंडिया ने वित्तीय संकट से घिरे इस इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रुप के बोर्ड को सौंपी अंतरिम रिपोर्ट में यह बात कही है। 166 पेज की रिपोर्ट में 10 बड़ी गड़बड़ियों का जिक्र किया गया है।
मिसाल के तौर पर, 6000 करोड़ रुपए से अधिक का लेनदेन IL&FS फाइनैंशल सर्विस लिमिटेड (IFIN) से जुड़ा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसमें बैंकिंग गवर्नेंस नियमों का उल्लंघन हुआ। IFIN के बॉरोअर्स को ग्रुप के पिछले बोर्ड की सहमति से 2,270 करोड़ रुपए दिए गए, जिनका इस्तेमाल IL&FS ग्रुप की कुछ कंपनियों ने किया। इनमें से 1,150 करोड़ रुपए IL&FS ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क लिमिटेड (ITNL) को दिए गए थे। IL&FS संकट जुलाई 2018 में इसके लोन डिफॉल्ट करने की वजह से सामने आया था।
ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट में बताया गया है, ‘IFIN के बॉरोअर्स को फंड दिया गया, जिसका इस्तेमाल शायद IL&FS की कुछ ग्रुप कंपनियों ने किया। इसमें से सबसे अधिक रकम ITNL को दी गई। हमने ऐसे कई मामलों का पता लगाया है, जहां थर्ड पार्टी को कर्ज दिया गया और उसी दिन इसे IL&FS ग्रुप की कंपनियों को ट्रांसफर किया गया।’
रिपोर्ट में ऐसे 29 मामलों का जिक्र किया गया है, जहां लोन बॉरोअर्स को दिए गए लेकिन उनका इस्तेमाल ग्रुप कंपनियों ने IFIN का बकाया कर्ज चुकाने के लिए किया। 2015-16 में SKIL के गुजरात द्वारका पोर्टवेस्ट लिमिटेड ने 253 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। उसी अवधि में SKIL इंफ्रास्ट्रक्चर ने 230 करोड़ रुपए IFIN को चुकाए।
इसी तरह से 2017 से 2019 के बीच 365 करोड़ रुपए IFIN ने फ्लेमिंगो ग्रुप को बांटे और उसी अवधि में ग्रुप कंपनियों ने 407 करोड़ रुपए IFIN को चुकाए। 2017-18 में इंडिया सीमेंट्स की चेन्नई सुपर किंग्स लिमिटेड ने IFIN से 65 करोड़ का उधार लिया और उसी दौरान EWS फाइनेंस एंड इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने IFIN को 40 करोड़ रुपए चुकाए।