एसएफआईओ ने आईएलएंडएफएस घोटाले में ऑडिटर को भी बताया दोषी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Jun, 2019 05:40 PM

il fs probe not just connivance auditors also pitched products to top brass

ऋण संकट में फंसी कंपनी आईएलएंडएफएस के ऑडिटर धोखाधड़ी में न सिर्फ शीर्ष प्रबंधन के साथ मिले हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कुछ उत्पाद एवं सेवाओं को भी बेचने की कोशिश की थी। जांच में यह बात सामने आयी है। गंभीर कपट अन्वेषण कार्यालय (एसएफआईओ) अभी आ

नई दिल्लीः ऋण संकट में फंसी कंपनी आईएलएंडएफएस के ऑडिटर धोखाधड़ी में न सिर्फ शीर्ष प्रबंधन के साथ मिले हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कुछ उत्पाद एवं सेवाओं को भी बेचने की कोशिश की थी। जांच में यह बात सामने आयी है। गंभीर कपट अन्वेषण कार्यालय (एसएफआईओ) अभी आईएलएंडएफएस समूह की कंपनी आईएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएफआईएन) की जांच कर रहा है। इस जांच में ऑडिटर, ऑडिट समिति और समूह के शीर्ष प्रबंधन के स्तर पर गंभीर खामियों का पता चला है। 

ऑडिटरों को थी घपले की जानकारी 
एसएफआईओ ने करीब 400 निकायों पर गौर करने तथा कंप्यूटर एवं लैपटॉप समेत विभिन्न स्रोतों से जानकारियां जुटाने के बाद पहला आरोपपत्र दायर कर दिया है। अधिकारियों ने जांच की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि पहले समूह के ऑडिट का काम कर चुकी कंपनी डिलॉयट, हैसकिन्स एंड सेल्स को समूह में ऋणदाताओं के साथ की जा रही धोखाधड़ी की जानकारी थी। 

नहीं की गई निगरानी 
जांच एजेंसी के अनुसार, जून 2017 के एक ईमेल से पता चला है कि ऑडिटर ने डिलॉयट समूह की परामर्श इकाई डिलॉयट टच तोहमास्तु इंडिया एलएलपी का एक उत्पाद बेचने की कोशिश की। जांच के अनुसार, ऋण उपयोग की निगरानी नीति होने के बाद भी निगरानी नहीं की गयी। एसएफआईओ ने दोषी ऑडिटर के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने तथा धोखाधड़ी के पकड़ में आने में हुई देरी की वजह का पता करने के लिए रिजर्व बैंक जांच पूरी आंतरिक जांच कराने की सिफारिश की है। 

9 लोगों का एक गुट जिम्मेदार 
एसएफआईओ ने पहले आरोपपत्र में आईएफआईएन में हुई धोखाधड़ी के लिए नौ लोगों के एक गुट को जिम्मेदार बताया है। ऑडिटर की भूमिका के बारे में एजेंसी ने कहा कि नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी तथा इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया को उचित प्रावधानों के आधार पर ऑडिटर के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

30 निकायों को बनाया आरोपी 
एसएफआईओ ने आरोपपत्र में वित्तीय धोखाधड़ी समेत विभिन्न अपराधों एवं उल्लंघनों के लिए 30 निकायों को आरोपी बनाया है। इनमें से कुछ आरोपी पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं।
 

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