Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Dec, 2019 10:47 AM
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने भुगतान संकट से जूझ रही आईएलएण्डएफएस कंपनी के मामले में उसके गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर को क्रेडिट रेटिंग जारी करते समय लापरवाही बरतने को लेकर इक्रा, केयर और इंडिया रेटिंग्स एण्ड रिसर्च प्रत्येक पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगा...
नई दिल्लीः पूंजी बाजार नियामक सेबी ने भुगतान संकट से जूझ रही आईएलएण्डएफएस कंपनी के मामले में उसके गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर को क्रेडिट रेटिंग जारी करते समय लापरवाही बरतने को लेकर इक्रा, केयर और इंडिया रेटिंग्स एण्ड रिसर्च प्रत्येक पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया।
सेबी ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि आईएलएफएस की ओर से भुगतान में चूक की स्थिति रेटिंग एजेंसियों के ढुलमुल रवैये, लापरवाही तथा ढिलाई की वजह से उत्पन्न हुई। नियामक ने तीनों रेटिंग एजेंसियों के लिए अलग-अलग आदेश जारी किए हैं और उनमें एक जैसी शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए प्रत्येक पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
उल्लेखनीय है कि आईएलएण्डएफएस और उसकी अनुषंगी कंपनी आईएलएण्डएफएस फाइनेंसियल सविर्सिज के उनके वाणिज्यिक पत्रों के ब्याज भुगतान में असफल रहने से यह मामला जुड़ा है। ये कंपनियां अपने वाणिज्यिक पत्र, अंतर कंपनी जमा पूंजी और उनके गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर पर ब्याज के भुगतान में असफल रही। आईएलएण्ड एफएस के संकट का मामला पिछले साल सितंबर में सामने आया। उसके बाद सरकार ने कंपनी के बोर्ड को बर्खास्त कर उसमें नया बोर्ड बिठा दिया। तब से ही यह कंपनी और इसकी इकाइयां नियामकीय जांच के घेरे में हैं। सेबी ने इन कंपनियों के वाणिज्यिक पत्रों को दी गई रेटिंग में एजेंसियों की भूमिका की जांच की।
नियामक ने केयर रेटिंग्स लिमिटेड, इक्रा लिमिटेड और इंडिया रेटिंग्स सहित कुछ अन्य एजेंसियों की भूमिका की जांच की। सेबी के मुताबिक आईएलएण्डएफएस और इसकी समूह कंपनियों के वित्तीय मानदंड, खासतौर से उनकी अल्पकालिक उधारी, ऋण-इक्विटी अनुपात, दीर्घकालिक ऋण की परिपक्वता अवधि, परिचालन मुनाफा और अन्य बातों के साथ संपत्तियों के मौद्रीकरण उतने अनुकूल नहीं थे जैसा की इन एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में आकलन किया था।