Edited By ,Updated: 21 Feb, 2017 02:29 PM
नोटबंदी के बाद भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था में तब्दील करने की सरकार की कोशिशों के बावजूद आम लोगों को...
नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था में तब्दील करने की सरकार की कोशिशों के बावजूद आम लोगों को नकदी को छोड़कर डिजिटल या ऑनलाइन लेनदेन अपनाने के प्रति प्रोत्साहित करना बड़ी चुनौती है, लेकिन इसके लिए सरकार कैशबैक योजना लाने जा रही है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने आज यहां डिजिटल भुगतान पर संवाददाताओं से कहा कि लोगों की आदत में बदलाव लाना बड़ी चुनौती है। तंत्र में कैश बढ़ने से डिजिटल भुगतान में आ रही कमी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि डिजिटल लेनदेन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने में तीन से चार साल का समय लगेगा।
पीओएस की संख्या में बढ़ौतरी
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के प्रयास तहत ही कैशबैक देने की बजट में घोषणा की गई है। भीम ऐप के जरिए लेनदेन करने वालों को कैशबैक पर काम जारी है और शीघ्र ही इसकी घोषणा भी की जाएगी। श्री कांत ने कहा कि नोटबंदी के बाद दिसंबर जनवरी में डिजिटल तरीके जैसे यूएसएसडी, यूपीआई, भीम ऐप और बैंकों के ऐप से भुगतान में तेजी बनी रही है। उन्होंने कहा कि प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) की संख्या में बढ़ौतरी हुई है। अभी देश में 28 लाख पीओएस हैं और बैंकों ने इसके लिए ऑर्डर भी दे रखे हैं। इसके साथ ही एमडीआर (कार्ड भुगतान पर लगने वाला शुल्क) कम करने की दिशा में भी काम जारी है। रिजर्व बैंक ने इसके लिए सभी हितधारकों से राय मांगी है।
उन्होंने कहा कि पहले पीओएस के जरिए कम भुगतान होने पर लागत अधिक आती थी, लेकिन अब अधिक लेनदेन होने पर लागत में कमी आएगी और इसका लाभ ग्राहकों को भी मिलना चाहिए। एमडीआर को कम करने की प्रक्रिया जारी है।