Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Jun, 2018 06:19 PM
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज कहा कि भारत को निवेश एवं समावेशी वृद्धि का समर्थन करने के लिए बैंकिंग क्षेत्र में जारी मौजूदा संकट को दूर करना जरूरी है। आईएमएफ के प्रवक्ता गैरी राइस ने संवाददाताओं से कहा, ''बैंकिंग सेक्टर की बैलेंस शीट से...
वॉशिंगटनः अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज कहा कि भारत को निवेश एवं समावेशी वृद्धि का समर्थन करने के लिए बैंकिंग क्षेत्र में जारी मौजूदा संकट को दूर करना जरूरी है। आईएमएफ के प्रवक्ता गैरी राइस ने संवाददाताओं से कहा, 'बैंकिंग सेक्टर की बैलेंस शीट से जुड़ी दिक्कतों को दूर करना तथा सार्वजनिक बैंकों के प्रदर्शन में सुधार करना भारत के लिए अहम है ताकि निवेश और उसके समावेश वृद्धि के एजेंडे का समर्थन किया जा सके।'
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है और इससे निपटने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। राइस ने कहा, 'इन कदमों में एनपीए की पहचान करना और दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमत सहिंता (आईबीसी) के तहत समाधान की रुप-रेखा तैयार करना शामिल है। यह अभी शुरुआती चरण में है लेकिन हमारा मानना है कि यह एक उत्साहजनक कदम है।'
दिसंबर 2017 के अंत में बैंकों का एनपीए 8.31 लाख करोड़ रुपए था। उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है क्योंकि परिसंपत्ति की गुणवत्ता की पहचान करने और बारीकी से नजर रखने के लिए सक्रिण दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। इस क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए विशेषकर सार्वजनिक बैंकों के जोखिम प्रबंधन और परिचालन में सुधार करने की जरूरत है। राइस ने कहा कि लेकिन हम सुधारों के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने और परिचालन एवं कारोबारी प्रशासन को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक बैंकों की पुनर्पूंजीकरण योजना के कदम का स्वागत करते हैं। उल्लेखनीय है कि अक्तूबर 2017 में सरकार ने अगले दो वित्त वर्षों में बैंक में 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी डालने की घोषणा की है।