Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Jun, 2020 05:18 PM
कोरोना महामारी के दौरान कर्मचारियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही हैं। लॉकडाउन की वजह से राजस्व में कमी के कारण कई उद्योगों/संस्थानों ने कर्मचारियों की छंटनी कर दी है तो कई ने रिटायरमेंट
नई दिल्लीः कोरोना महामारी के दौरान कर्मचारियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही हैं। लॉकडाउन की वजह से राजस्व में कमी के कारण कई उद्योगों/संस्थानों ने कर्मचारियों की छंटनी कर दी है तो कई ने रिटायरमेंट के करीब पहुंचे कर्मचारियों को समय से पहले सेवानिवृति (VRS) दे दिया है। ऐसी कंपनियां नौकरी से हटाए गए इन कर्मचारियों को ग्रैच्युटी (Gratuity), वीआरएस भत्ता (VRS Allowances), अतिरिक्त वेतन (Extra Salary) जैसे कई तरह के भुगतान कर रही हैं। ऐसे कर्मचारियों पर दोहरी मार इस तरह से पड़ रही है कि नौकरी तो गई और इन मिलने वाले भत्तों पर भी इनकम टैक्स लग रहा है।
सैलरी के अलावा मिली रकम पर देना होगा टैक्स
आयकर कानून की धारी 17(3) के तहत किसी भी कर्मचारी को कंपनी की तरफ से वेतन के अलावा मिलने वाले भुगतान पर Income Tax चुकाना पड़ता है। इसके तहत नौकरी से हटाए गए कर्मचारी को इस दौरान मिलने वाले भत्तों पर आयकर चुकाना होगा। नौकरी छूटने के बाद दूसरा काम कर पैसा कमाया तो उस आय पर भी टैक्स चुकाना होगा। वैसे इसमें कुछ छूट के प्रावधान भी हैं।
VRS पर टैक्स छूट का प्रावधान
नियोक्ता की तरफ से वॉलेंटियर रिटायरमेंट (VRS) के दौरान सभी भत्तों को मिलाकर चुकाए गए 5 लाख रुपए तक की रकम पर आयकर अधिनियम की धारा 10(C) के तहत टैक्स से छूट मिलती है। ये छूट करदाता को एक बार ही मिल सकती है। अगर VRS के दौरान मिलने वाली रकम नौकरी के दौरान मिलने वाले तीन महीने की सैलरी से ज्यादा हो तो कर्मचारी को टैक्स चुकाना होगा। यदि कर्मचारी को नौकरी से हटाए जाने वाले भत्ते इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट के तहत मिलते हैं तो 5 लाख रुपए की रकम पर टैक्स में छूट का लाभ लिया जा सकता है।
केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय और प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को ग्रैच्युटी पर टैक्स में छूट का लाभ मिलता है। गैर सरकारी कर्मचारियों को एक सीमा तक ग्रैच्युटी पर टैक्स में छूट का प्रावधान है। इस सीमा से ज्यादा ग्रैच्युटी बनने पर उन्हें इस पर Income Tax का भुगतान करना पड़ता है।