मनमोहन के कार्यकाल में सेंसेक्स देता था जबरदस्त रिटर्न, मोदीराज में घटी स्टॉक इनवेस्टर्स की कमाई

Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Apr, 2019 11:18 AM

in the tenure of manmohan the sensex gave tremendous returns

मई 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सत्ता में आने के बाद शेयर बाजार ने हर साल करीब 9.37 प्रतिशत रिटर्न दिया है। हालांकि अगर इसकी तुलना पहले की सरकारों से करें तो यह कम है।

बिजनेस डेस्कः मई 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सत्ता में आने के बाद शेयर बाजार ने हर साल करीब 9.37 प्रतिशत रिटर्न दिया है। हालांकि अगर इसकी तुलना पहले की सरकारों से करें तो यह कम है। मई में जब मोदी सरकार बनी थी तब से पिछले शुक्रवार (5 अप्रैल) तक सेंसेक्स ने कुल 56 प्रतिशत और निफ्टी ने करीब 58 प्रतिशत की तेजी आई। हालांकि 2005-2007 के बाद मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान मिड और स्मॉल कैप शेयरों का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा। मई 2014 के बाद मिड कैप इंडेक्स में सालाना 12.68 प्रतिशत और स्मॉल कैप इंडेक्स में 10.85 प्रतिशत की तेजी आई। 2018 की शुरुआत तक दोनों इंडेक्स का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा।

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घरेलू निवेशकों का जबरदस्त सपॉर्ट 
मोदी सरकार के कार्यकाल में शेयर बाजार को घरेलू निवेशकों का जबरदस्त सपॉर्ट मिला। सरकार के काले धन पर सख्ती बढ़ाने से घरेलू निवेशकों ने रियल एस्टेट और गोल्ड के बजाय इक्विटी मार्केट में निवेश बढ़ाया। म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों सहित डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशंस ने पिछले पांच साल में बाजार में 3.85 लाख करोड़ और विदेशी निवेशकों ने 2.11 लाख करोड़ रुपये लगाए। रिटेल निवेशकों के रिकॉर्ड इनवेस्टमेंट से बेंचमार्क इंडेक्स नए शिखर पर पहुंच गए, लेकिन इस बीच कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ सुस्त बनी रही। इकनॉमी और कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ पर 2016 में नोटबंदी के ऐलान और जुलाई 2017 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लागू होने से बुरा असर पड़ा।

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मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशल सर्विसेज के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर रामदेव अग्रवाल ने बताया, 'कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ पिछले पांच साल से कमजोर बनी हुई है, जबकि इस बीच शेयरों का वैल्यूएशन काफी बढ़ा है।' 50 कंपनियों वाले निफ्टी का अर्निंग पर शेयर (ईपीएस) 2014-2017 के बीच 369 से 388 रुपए के बीच रहा, जो 2019 में 409 रुपए तक पहुंचा है। फंड मैनेजरों और ब्रोकरेज हाउसों ने बताया कि अगले साल ईपीएस में और बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन उसमें कॉरपोरेट सेक्टर को कर्ज देने वाले बैंकों का बड़ा रोल होगा।

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मोदी के कार्यकाल में बाजार का रिटर्न सबसे कम 
एक बड़े म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर ने बताया, 'निवेशकों का धीरज अब तक बना हुआ है। हालांकि, कभी न कभी वे यह सवाल जरूर करेंगे कि कहीं वे अधिक वैल्यूएशन तो नहीं चुका रहे हैं।' अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार के बाद मोदी के कार्यकाल में शेयर बाजार का रिटर्न सबसे कम रहा है। पिछले दो दशकों में शेयर बाजार के लिए सबसे अच्छा वक्त 2004 से 2009 के बीच रहा, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। उस दौरान सेंसेक्स में कुल 180 प्रतिशत और सालाना आधार पर 22.9 प्रतिशत की तेजी आई थी। यूपीए 2 के दौरान सेंसेक्स 77.98 प्रतिशत यानी सालाना 12.22 प्रतिशत चढ़ा था। हालांकि, सितंबर 2013 से मई 2014 के बीच मोदी लहर के चलते बाजार में तेजी नहीं आई होती तो यूपीए 2 का रिटर्न काफी कम होता। 1 सितंबर 2013 से 30 मई 2014 के बीच निफ्टी में 32 प्रतिशत की तेजी आई थी। 
 

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