Edited By ,Updated: 08 Feb, 2016 12:50 PM
इन्कम टैक्स एक्ट 1961 में ऐसी व्यवस्थाएं हैं, जिनका सम्बन्ध एक करदाता की तरफ से अपने बच्चों की पढ़ाई पर किए जाने वाले खर्चों के साथ है।
नई दिल्लीः इन्कम टैक्स एक्ट 1961 में ऐसी व्यवस्थाएं हैं, जिनका सम्बन्ध एक करदाता की तरफ से अपने बच्चों की पढ़ाई पर किए जाने वाले खर्चों के साथ है। उदाहरण के लिए सैलरी हासिल करने वाले व्यक्ति को यदि बच्चों की पढ़ाई के लिए भत्ता मिलता है तो इसकी इन्कम टैक्स में छूट मिल जाती है परन्तु बदकिस्मती के साथ यह छूट 100 रुपए प्रति महीना प्रति बच्चा है। वह भी इस शर्त के साथ कि सैलरी हासिल करने वाले के सिर्फ 2 बच्चे ही होने चाहिएं। इस तरह इन्कम टैक्स एक्ट 1961 की व्यवस्था में पढ़ाई के भत्तों पर मिलने वाली छूट सीमित है। इसी तरह यदि सैलरी हासिल करने वाले को अपने बच्चों के होस्टल के खर्च के लिए कोई भत्ता मिलता है तो नियम-2(बी.)(बी.) के अंतर्गत उसे 300 रुपए प्रति महीना प्रति बच्चा छूट मिलेगी, वह भी अधिक से अधिक 2 बच्चों की उपरोक्त शर्त के साथ।
वैल्यू बैनेफिट समझा जाएगा खर्च के बराबर
इन्कम टैक्स एक्ट नियम-3 के अंतर्गत यह व्यवस्था भी है कि यदि किसी कर्मचारी के परिवार के किसी सदस्य को फ्री या किसी खास रियायत पर पढ़ाई करने की सुविधा मिलती है, तो इसको वैल्यू बैनेफिट कहा जाएगा और इस वैल्यू बैनेफिट को पढ़ाई पर किए गए खर्च के बराबर समझा जाएगा परन्तु यदि किसी शिक्षा संस्था की तरफ से किसी कर्मचारी के बच्चे को फ्री पढ़ाई की सुविधा प्राप्त है और पढ़ाई की लागत या वैल्यू बैनेफिट 1,000 रुपए प्रति महीना जाता है तो यह वैल्यू बैनेफिट टैक्स छूट की प्रक्रिया से बाहर होगा, यह सच्चाई है कि आजकल बच्चों की पढ़ाई की लागत बहुत बढ़ गई है।
डिवैल्पमैंट या डोनेशन फीस की अदायगी शामिल नहीं
ज्यादातर मालिक अपने कर्मचारियों को उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए सम्बन्धित खर्चों का भुगतान नहीं करते। फिर भी इन्कम टैक्स 1961 के सैक्शन 80 (सी.) में एक बहुत बढिय़ा व्यवस्था है जो कर्मचारियों की आय में से एक स्पष्ट छूट मुहैया करवाती है यदि कर्मचारी अपने बच्चों की ट्यूशन फीस का भुगतान करता है।
यह छूट सिर्फ कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी लोगों के लिए है। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि इन्कम टैक्स एक्ट 1961 के सैक्शन 80(सी.) के अंतर्गत ट्यूशन फीस पर मिलने वाली छूट कुल 1.50 लाख रुपए की छूट में शामिल है। इससे यह पता चलता है कि किसी व्यक्ति की तरफ से बच्चों की पढ़ाई पर किए जाने वाले खर्चों पर और कोई छूट नहीं मिलेगी। ट्यूशन फीस पर छूट इंश्योरैंस प्रीमियम या प्रॉवीडैंट फंड पर मिलने वाली छूट से अलग है।
इसके अलावा सैक्शन 80 (सी.) के अंतर्गत मिलने वाली छूट सिर्फ ट्यूशन फीस पर लागू होती है और इसमें किसी और किस्म की डिवैल्पमैंट या डोनेशन फीस की अदायगी शामिल नहीं है।
ग्रैंड चिल्ड्रन की पढ़ाई पर टैक्स छूट नहीं
इसके अलावा इस कानून के अंतर्गत बच्चों के बस चाॢजस, किताबों की लागत आदि को आय की गणना में टैक्स छूट प्राप्त नहीं है क्योंकि ट्यूशन फीस ऊपर आने वाले खर्चों पर टैक्स छूट तब मिलती है जब टैक्स देने वाले व्यक्ति के सिर्फ 2 बच्चे ही हों।
वहीं इस कानून के अंतर्गत हिंदू अविभक्त परिवार (एच.यू.एफ.) टैक्स छूट के अंतर्गत नहीं आते। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि किसी व्यक्ति के तौर पर अपनी बहन या भाई की पढ़ाई पर किए जाने वाले किए खर्च पर ट्यूशन फीस में छूट नहीं मिलेगी। इसी तरह पोते-पोतियों (ग्रैंड चिल्ड्रन) की पढ़ाई पर किए जाने वाले खर्च पर भी टैक्स छूट नहीं मिलेगी।
बच्चा भारतीय शिक्षण संस्थान में पढ़ता हो
यहां यह बताने योग्य है कि यदि हम इन्कम टैक्स एक्ट 1961 के सैक्शन 80 (सी.) का गहराई के साथ अध्ययन करें तो पता लगता है कि ट्यूशन फीस पर होने वाले खर्च पर इन्कम टैक्स छूट तब ही मिलेगी यदि सम्बन्धित व्यक्ति का बच्चा भारत की किसी यूनिवर्सिटी, कालेज, स्कूल या और किसी शिक्षण संस्थान में पढ़ता है।
इस तरह यह साफ है कि यदि आप अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए विदेश में भुगतान कर रहे हों तो इस कानून अंतर्गत आपको इन्कम टैक्स में छूट नहीं मिलेगी। एक और अहम शर्त यह है कि यह छूट तो ही लागू होगी यदि आपका बच्चा फुल टाइम पढ़ाई कर रहा है। यदि आपका बच्चा पार्ट टाइम स्टडी प्रोग्राम अंतर्गत पढ़ाई कर रहा है तो पार्ट टाइम ट्यूशन फीस में छूट नहीं मिलेगी इसलिए इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
उच्च शिक्षा ऋण ब्याज पर भी टैक्स छूट की सुविधा
इन्कम टैक्स एक्ट किसी उच्च शिक्षा के लिए लिए गए ऋण के ब्याज पर भी टैक्स छूट की सुविधा मुहैया करवाता है। यह खास छूट इन्कम टैक्स एक्ट 1961 के 80 (ई.) सैक्शन के अंतर्गत मिलती है। इस छूट की विशेषता यह है कि इसमें उच्च शिक्षा के लिए लिए गए कर्ज पर लगने वाले ब्याज पर मिलने वाली छूट की कोई उच्च सीमा नहीं है। यदि कोई व्यक्ति स्वयं, अपने जीवन साथी या अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए ऋण लेता है तो ब्याज पर इस छूट की सुविधा का फायदा उठाया जा सकता है।
दूसरी तरफ इस एक्ट के अंतर्गत यह भी कोई शर्त नहीं है कि यदि आप भारत से बाहर उच्च शिक्षा के लिए ऋण लेते हो तो आपको टैक्स छूट नहीं प्राप्त होगी। यह छूट भारत और विदेश दोनों में लागू है बशर्ते ऋण उच्च शिक्षा के लिए लिया गया हो परन्तु यहां ध्यान रखने योग्य बात है कि यदि आप उच्च शिक्षा के लिए लिए गए ऋण पर लगने वाले ब्याज से छूट हासिल करना चाहते हो तो यह ऋण किसी वित्तीय संस्था या किसी मान्यता प्राप्त चैरिटेबल संस्था से ही लिया जाए। यदि आप अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार से या अपने मालिक (इम्प्लायर) से ऋण लेते हो तो आप इस छूट के हकदार नहीं होंगे।
बाहर से ऋण लेने पर छूट नहीं
एक और खास बात जिसको ध्यान में रखना चाहिए इन्कम टैक्स एक्ट 1961 के 80 (ई.) सैक्शन ने उच्च शिक्षा की स्पष्ट परिभाषा दी है जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति यह खास छूट हासिल कर सकता है।
यहां उच्च शिक्षा का मलतब इंजीनियरिंग, मैडीसिन्स, मैनेजमैंट में ग्रैजुएशन या पोस्ट ग्रैजुएशन पाठ्यक्रमों से है या ऐसे पोस्ट ग्रैजुएशन पाठ्यक्रम जिनमें विज्ञान, गणित या स्टैटेस्टिक्स शामिल हैं। इस तरह इन्कम टैक्स एक्ट 1961 के अंडर
सैक्शन 80 (ई.) के अंतर्गत
कई तरह के पाठ्यक्रम आते हैं जिनके लिए लिए गए ऋण पर दिए गए ब्याज पर छूट मिलती है परन्तु यदि उच्च शिक्षा की इस एक्ट अंतर्गत दी परिभाषा पर बाहर से किसी शिक्षा के लिए ऋण लिया जाता है तो टैक्स छूट हासिल नहीं होगी।
शुरूआती असैस्मैंट ईयर की गणना के आधार पर
हम पहले ही बता चुके हैं कि उच्च शिक्षा के लिए लिए गए कर्जे पर लगने वाले ब्याज पर छूट के सम्बन्ध में कोई हद नहीं है। फिर भी एजुकेशन लोन पर ब्याज के द्वारा दी जाने वाली यह छूट करदाता की तरफ से शुरूआती असैस्मैंट ईयर की गणना के आधार पर और शुरूआती असैस्मैंट ईयर के बाद के 7 वर्ष की असैस्मैंट के आधार पर या जब तक करदाता की तरफ से मुकम्मल टैक्स का भुगतान नहीं किया जाता, की गणना के आधार पर मंजूर की जाती है।
इस उद्देश्य के लिए शुरूआती असैस्मैंट का भाव गत वर्ष से है जिस दौरान ब्याज का भुगतान करना शुरू किया था इसलिए कोई भी व्यक्ति या करदाता जो कि खुद अपने, अपनी पत्नी या बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए ऋण लेना चाहता है, वह ऋण पर लगने वाले ब्याज में मिलने वाली कटौती घटा इन खास बातों का ध्यान रखे जिससे अपनी इन्कम टैक्स रिटर्न भरने समय पर गलती न हो।