सभी करदाताओं को समान नजर से देखता है, पक्षपाती नहीं है आयकर कानूनः SC

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jun, 2017 04:48 PM

income tax law looks at all tax payers with equal notice  is not biased  sc

उच्चतम न्यायालय ने इस बहस को भ्रामक बताया है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए...

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने इस बहस को भ्रामक बताया है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने संबंधी आयकर कानून में किया गया नया प्रावधान पक्षपातपूर्ण है और यह करदाताओं को दो वर्ग में बांटता है। शीर्ष अदालत को आयकर कानून की धारा 139ए.ए. में कुछ भी गलत नहीं लगता है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि सभी करदाता एक ही श्रेणी में आते हैं और जिस धारा को लेकर चुनौती दी गई है उसमें उन्हें एक समान ही रखा गया है।
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IT एक्‍ट के नई धारा को दी गई थी चुनौती
आयकर कानून में शामिल की गई नई धारा 139ए.ए. के तहत एक जुलाई से आयकर रिटर्न दाखिल करने अथवा पैन के लिए आवेदन करने के लिए आधार नंबर का उल्लेख करना या फिर आधार के लिए किए गए आवेदन की पंजीकरण संख्या का उल्लेख किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी कानून की वैधता को उन लोगों की अलग श्रेणी मानकर चुनौती नही दी जा सकती है जो कि कानून के एक खास प्रावधान को लेकर एतराज जता रहे हैं और उन्हीं के आधार पर इसे पक्षपातपूर्ण ठहराया जा रहा है।

हर एक कानून का पालन करना चाहिए
शीर्ष अदालत ने कहा, जब कोई कानून बनाया जाता है तो उसके दायरे में जो भी लोग आते हैं उन्हें उसका पालन करना चाहिए। हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि यह नागरिक का अधिकार है कि वह विधायिका में बने किसी खास कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर अदालत में पहुंच सकता है। न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और अशोक भूषण की पीठ ने कहा, केवल इस आधार पर कि कुछ लोग कानून की एक धारा का विरोध कर रहे हैं, इसका यह मतलब नहीं लगाया जा सकता कि वह अपने आप में एक अलग श्रेणी बन गई है। इस आधार पर दो श्रेणियां नहीं बनाई जा सकती हैं कि एक श्रेणी वह जो योजना के दायरे में आना चाहते हैं और दूसरी उन लोगों कि जो दायरे में नहीं आना चाहते हैं। 

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