Edited By Isha,Updated: 25 Dec, 2018 02:26 PM
जमीन जायदाद क्षेत्र में साल 2018 में सुधार का संकेत दिखा और किफायती फ्लैटों की मांग और कीमतों के स्थिर रहने से सभी प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी हालांकि, साल के अंत में नकदी संकट की वजह से मजबूत वृद्धि की...
बिजनेस डेस्कः जमीन जायदाद क्षेत्र में साल 2018 में सुधार का संकेत दिखा और किफायती फ्लैटों की मांग और कीमतों के स्थिर रहने से सभी प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी हालांकि, साल के अंत में नकदी संकट की वजह से मजबूत वृद्धि की संभावना कमजोर हुई। साथ ही घर खरीदारों के लिए घर मिलने में होने वाली देरी अभी भी ङ्क्षचता का विषय बना हुआ है।
नोटबंदी, जीएसटी और सख्त नियमों (रेरा कानून) की तिहरी मार के बाद भी रीयल एस्टेट में आया सुधार काफी मायने रखता है। प्रॉपर्टी डीलरों और परामर्शदाताओं को आशंका है कि आगामी आम चुनावों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की नकदी संकट के चलते घर बिक्री में 2019 की पहली छमाही में सुस्ती आ सकती है हालांकि, यदि निर्माणाधीन फ्लैटों पर जीएसटी की दरें 12 प्रतिशत से घटाकर कम करने की अनुमति दी जाती है तो दूसरी छमाही में बिक्री में तेजी आ सकती है। इसके अलावा, एनबीएफसी की नकदी स्थिति में सुधार भी जरुरी है क्योंकि ये कंपनियां बड़े पैमाने पर रीयल एस्टेट क्षेत्र का वित्तपोषण करती हैं।
किफायती घर रीयल एस्टेट के लिए मूलमंत्र बन गया है, इसने 2017 में निम्नतम स्तर पर पहुंच चुके रीयल एस्टेट क्षेत्र को धीरे-धीरे सुधरने में मदद की। नोटबंदी, जीएसटी और रेरा के कारण क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। जेएलएल इंडिया के मुताबिक, 2018 में सात प्रमुख शहरों में आवास बिक्री 47 प्रतिशत बढऩे का अनुमान जताया गया है। एनारॉक ने सात शहरों में 16 प्रतिशत और प्रोपटाइगर ने नौ शहरों में घरों की बिक्री में 25 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद जतायी है। एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि सभी श्रेणियों में सुधार के संकेतों के बावजूद 2018 रीयल एस्टेट के लिये Þरोलर कोस्टर सवारी अर्थात् उतार-चढ़ाव भरा रहा। हालांकि नकदी संकट ने सभी संबद्ध पक्षों को ङ्क्षचतित किया।