Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Dec, 2017 04:33 AM
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी आने के साथ ही आने वाले दिनों में सरकार पर पैट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती का दबाव बढ़ सकता है ताकि उपभोक्ताओं पर ऊंचे दाम के बोझ को कुछ कम किया जा सके। क्रैडिट रेटिंग एजैंसी इक्रा ने यह बात कही।...
नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी आने के साथ ही आने वाले दिनों में सरकार पर पैट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती का दबाव बढ़ सकता है ताकि उपभोक्ताओं पर ऊंचे दाम के बोझ को कुछ कम किया जा सके।
क्रैडिट रेटिंग एजैंसी इक्रा ने यह बात कही। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस महीने ब्रेंट क्रूड के दाम 40 प्रतिशत बढ़कर 67 डालर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गए। एक साल पहले नवम्बर में कच्चे तेल के दाम 48 डालर प्रति बैरल के निचले स्तर तक गिर गए थे। तेल निर्यातक देशों के संगठन ‘ओपेक’ ने हाल ही में कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला किया है। कच्चे तेल के दाम बढऩे से पैट्रोलियम पदार्थों पर सरकार की सकल कम-वसूली बढ़कर 22,000- 25,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाने का अनुमान है जबकि इसके लिए चालू वित्त वर्ष के दौरान पहले 16,000- 20,000 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया गया था।
भारत में कच्चे तेल के आयात मूल्य में हर एक डालर की वृद्धि से सरकार की कम-वसूली बढ़ती है और उसका यह बोझ 1,000 करोड़ रुपए बढ़ जाता है जबकि कच्चे तेल के आयात बिल में 1.2 अरब डालर की वृद्धि हो जाती है। पिछले तीन माह के दौरान कच्चे तेल के दाम 28 प्रतिशत तक चढ़ चुके हैं। अगस्त अंत में यह 52.3 डालर प्रति बैरल पर थे।