Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Apr, 2020 01:28 PM
देशव्यापी लाॅकडाउन में आपको जरूरी सामान जैसे कि आटा, चावल, दाल, बिस्कुट और नूडल्स की किल्लत हो सकती है। रिटेलर्स और राशन दुकानों में ये सामान उपलब्ध नहीं है। ऑनलाइन और ऑफलाइन
नई दिल्लीः देशव्यापी लाॅकडाउन में आपको जरूरी सामान जैसे कि आटा, चावल, दाल, बिस्कुट और नूडल्स की किल्लत हो सकती है। रिटेलर्स और राशन दुकानों में ये सामान उपलब्ध नहीं है। ऑनलाइन और ऑफलाइन मार्केट में रोजमर्रा की जरूरी सामान की मांग में भारी बढ़ोतरी देखी गई है यहां जरूरी के कई सामान उपलब्ध नहीं है। हालांकि सरकार जरूरी सामानों की निबार्ध आपूर्ति के लिए हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन सभी एफएमसीजी कंपनियों के आगे उत्पादन की कमी और सप्लाई की चुनौती है।
पैकेटबंद सामान की मांग में तेजी
मोर रिटेल के डिप्टी एमडी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (हाइपर मार्केट) मोहित कमपानी के मुताबिक 'इन दिनों आटा-चावल और पैकेटबंद सामान जैसे कि नूडल्स-बिस्कुट की मांग में काफी तेजी आई है लेकिन सप्लाई कम होने की वजह से कमी पड़ रही है।' वहीं ब्रिटानिया के एमडी वरुण बेरी के मुताबिक पार्ले अभी 25 फीसदी की क्षमता पर कार्य कर रही है। पिछले सप्ताह कर्मचारियों की संख्या 20 से 30 फीसदी ही थी। लेबर और ट्रांसपोर्ट के बड़ी समस्या बन कर उभर रही है।'
एमपी, राजस्थान और महाराष्ट्र में पूरी तरह बंदी का असर
मेट्रो कैश एंड कैरी इंडिया के सीईओ अरविंद मेदीरत्ता बताते हैं 'ट्रांसपोर्ट की साधन की कमी के चलते दाल का सप्लाई कम हो रहा है। दाल उगाने वाले राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की 75 फीसदी मीलें बंद है। इसकी वजह से दाल की कमी पड़ रही है।'
श्रमिकों की कमी के चलते एफएसीजी कंपनियां परेशानी में
ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एफएसीजी कंपनियों के कारखाने 20 से 30 फीसदी की क्षमता पर ही काम कर रहे हैं क्योंकि ज्यादातर श्रमिक महामारी के चलते अपने गांव चले गए हैं। ब्रिटानिया, आईटीसी, पेप्सिको और पार्ले जैसी एफएसीजी कंपनियां प्रोडक्शन की कमी के चलते परेशान है।
कई राज्यों में सरकार की सख्त पाबंदी का असर भी
कई राज्य ऐसे हैं जहां लाॅकडाउन के नियम बेहद सख्त हैं। वहां सरकार पैकेट बंद फूड और बेवरेज की मैन्यूफैक्चरिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इस वजह से भी चिप्स और अन्य स्नैक्स की किल्लत हो गई है। ये चीजें खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत जरूरी चीजों की श्रेणी में आती हैं, मगर फिर भी राज्य सरकारों ने रोक लगा रखी है। इंडस्ट्री के एक्सपर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल स्थित दो पेप्सिको प्लांट में भी श्रमिकों की कमी की वजह से बंद जैसे हालात है। पेप्सिको प्लांट में 15 फीसदी की श्रमिक क्षमता पर ही काम हो रहा है। फूड सप्लाई में कमी की यह भी बड़ी वजह है।