Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Oct, 2017 02:55 PM
पिछले साल नवंबर में नोटबंदी से रियल्टी सेक्टर में कैश की बड़ी तंगी हो गई है। बैंकों द्वारा भी लोन देने में आनाकानी होने लगी है। इसके चलते काले धन की बुनियाद पर चलने के आरोप झेलते रियल्टी सेक्टर में तेजी से बदलाव हो रहा है। रियल सेक्टर में हुए...
मुंबईःपिछले साल नवंबर में नोटबंदी से रियल्टी सेक्टर में कैश की बड़ी तंगी हो गई है। बैंकों द्वारा भी लोन देने में आनाकानी होने लगी है। इसके चलते काले धन की बुनियाद पर चलने के आरोप झेलते रियल्टी सेक्टर में तेजी से बदलाव हो रहा है। रियल सेक्टर में हुए रिफॉर्म्स और उसके लिए बऐ कानून से सेक्टर में कंसॉलिडेशन को बढ़ावा मिल रहा है। कई छोटे बिल्डर अपनी जमीन बेच रहे हैं या उसके लिए जॉइंट डिवेलपमेंट या डिवेलपमेंट अग्रीमेंट कर रहे हैं।
जेनरियल प्रॉपर्टी अडवाइजर्स के चेयरमैन अंकुर श्रीवास्तव ने कहा, 'रेरा की सख्त गाइडलाइंस के साथ ही कस्टमर्स के सॉलिड एक्जिक्यूशन ट्रैक रिकॉर्ड को तरजीह देने के चलते मंझोले और छोटे बिल्डर की बिक्री में कमी आई है और उन्हें कारोबार में मुश्किल होने लगी है। फंड की कमी के चलते भी उन्हें बड़े बिल्डरों के साथ हाथ मिलाना पड़ रहा है।' बिल्डरों को महसूस होने लगा है कि वे जिस कारोबार माहौल में काम करते रहे थे, वह अब लौटकर नहीं आएगा। अब तो होम बायर्स, बैंक और दूसरे स्टेकहोल्डर्स उनसे दो-दो हाथ करने की स्थिति में आ गए हैं।'