'योजनाओं में अनिश्चितकाल के लिए नहीं लगाया जा सकता सरकारी पैसा'

Edited By ,Updated: 14 Sep, 2016 04:10 PM

indefinite parking of money in schemes impedes growth jaitley

वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज कहा कि सरकारी पैसा विभिन्न योजनाओं में अनिश्चितकाल के लिए नहीं लगाया जा सकता क्योंकि इससे दक्षता प्रभावित होती है और वृद्धि के रास्ते में अड़चन आती है।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज कहा कि सरकारी पैसा विभिन्न योजनाओं में अनिश्चितकाल के लिए नहीं लगाया जा सकता क्योंकि इससे दक्षता प्रभावित होती है और वृद्धि के रास्ते में अड़चन आती है। पेंशनभोगियों के लिए वेबपोर्टल के शुभारंभ के मौके पर जेतली ने कहा कि जारी सरकारी पैसे का इसके इस्तेमाल से तालमेल बैठाया जाना चाहिए। इसे राज्यों के पास निष्क्रिय पड़े रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।   उन्होंने कहा, ‘‘आप एेसा नहीं कर सकते कि सरकारी धन विभिन्न स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिए पड़ा रहे। इससे न केवल दक्षता प्रभावित होती है, बल्कि यह वृद्धि के रास्ते में भी अड़चन पैदा करता है।’’   

सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) धन के वितरण की निगरानी करती है और यह सुनिश्चित करती है कि राज्यों के खजाने का केंद्र के साथ एकीकरण रहे, जिससे यह सुनिश्चित हो कि कब पैसे की जरूरत है। इसे केंद्रीय योजना स्कीम निगरानी प्रणाली (सीपीएसएमएस) भी कहा जाता है।  

वित्त मंत्री द्वारा आज जिस वेबपोर्टल की शुरूआत की गई, वह एक स्थान पर सूचना प्रदान करने और शिकायतों के तेजी से निपटान की भूमिका निभाएगा। इस पोर्टल के अलावा महालेखा नियंत्रक भवन का भी उद्घाटन किया गया। यह लेखा महानियंत्रक (सीजीए) का नया आधिकारिक कार्यालय परिसर है।  

जेतली ने कहा, ‘‘वेब पोर्टल के जरिए पेंशनभोगियों की मदद एक बेहद महत्वपूर्ण पहल है। किसी को भी परेशान नहीं किया जाना चाहिए, विशेषरूप से पेंशनभोगियों को क्योंकि इसमें से ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक हैं।’’ केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएआे) द्वारा तैयार यह वेब पोर्टल पेंशनभोगियों को एक ही स्थान पर समाधान उपलब्ध कराएगा। वे इसके जरिए पेंशन मामलों की स्थिति और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों-विभागों तथा बैंकों द्वारा पेंशन भुगतान के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।   लेखा महानियंत्रक एम जे जोसफ ने कहा कि पीएफएमएस की रूपरेखा के तहत केंद्र ने पहले चरण में 9 राज्यों की पहचान की है, जिनके साथ डेटा का आदान प्रदान पहले ही शुरू किया जा चुका है। दूसरे चरण में 15 और राज्यों का इसके साथ एकीकरण किया जाएगा। मार्च, 2017 तक सभी राज्यों का इसके साथ एकीकरण करने का लक्ष्य है। जोसफ ने यहां संवाददाताओं कहा, ‘‘इस विचार का मकसद यह पता लगाना है कि कहां बैंकों में पैसा निष्क्रिय पड़ा है।’’   

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