Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Dec, 2019 11:30 AM
चुनिंदा कृषि जिंस और कई अन्य वस्तुओं के अलावा कृषि आधारित सामग्रियां जैसे मांस, दूध और फलों के निर्यात से भारत 97 अरब डॉलर (लगभग 6.9 लाख करोड़ रुपए) की अतिरक्त कमाई कर सकता है। खाद्य एवं कृषि संगठन के आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है।
मुंबईः चुनिंदा कृषि जिंस और कई अन्य वस्तुओं के अलावा कृषि आधारित सामग्रियां जैसे मांस, दूध और फलों के निर्यात से भारत 97 अरब डॉलर (लगभग 6.9 लाख करोड़ रुपए) की अतिरक्त कमाई कर सकता है। खाद्य एवं कृषि संगठन के आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है। आंकड़ों के अनुसार, केला, संतरे, चिकन, मांस, और दूध और पनीर और बटर मिल्क जैसे दुग्ध उत्पादों में भारत की निर्यात हिस्सेदारी कम है।
विश्व व्यापार केंद्र ने बृहस्पतिवार को एक बयान में एफओए के आंकड़ों के हवाले से कहा कि 19 जिंसों के लिए वर्ष 2017 में वैश्विक बाजार में देश की हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत या लगभग 1.5 अरब डॉलर (लगभग 10,650 करोड़ रुपए) की थी जबकि संभावना 97 अरब डॉलर तक कमाई कर सकने की है। मांस और चिकन का वैश्विक बाजार 20.6 अरब डॉलर का है, लेकिन देश का निर्यात हिस्सा इसमें से केवल 4.04 प्रतिशत है। इसी तरह, केले के लिए वैश्विक बाजार 15 अरब डॉलर के करीब है, जिसमें भारत का हिस्सा 48 करोड़ डॉलर ही है।
मक्खन और गाय के दूध के निर्यात से आठ अरब डॉलर मिल सकते हैं, जबकि भारत को उनके निर्यात से एक पैसा भी नहीं मिलता है। देश अंगूर के निर्यात से सालाना 27.5 करोड़ डॉलर कमाता है, जबकि वैश्विक बाजार 8.6 अरब डॉलर का है। यह गौरतलब है कि लगभग एक तिहाई भारतीय कृषि उपज, भंडारण एवं उचित परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण बर्बाद हो जाते है। वैश्विक प्याज निर्यात बाजार तीन अरब डॉलर से अधिक का है, लेकिन भारत निर्यात से सिर्फ 42 करोड़ डॉलर कमाता है।