अमरीका से ट्रेड वार के बीच चीन की मदद कर सकता है भारत

Edited By Supreet Kaur,Updated: 29 Aug, 2018 10:11 AM

india can help china between us trade war

अमरीका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वार से दुनिया भर में हलचल मची हुई है। इस वार को भुनाकर भारत चीनी बाजार में अपनी जगह बनाने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है। जानकारी के अनुसार भारत ने ऐसे उत्पादों की सूची तैयार कर ली है जिन्हें वह चीन में निर्यात करके...

नई दिल्लीः अमरीका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वार से दुनिया भर में हलचल मची हुई है। इस वार को भुनाकर भारत चीनी बाजार में अपनी जगह बनाने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है। जानकारी के अनुसार भारत ने ऐसे उत्पादों की सूची तैयार कर ली है जिन्हें वह चीन में निर्यात करके अमरीकी एक्सपोर्ट बाजार पर कब्जा कर सकता है। दरअसल चीन और अमरीका के बीच शुरू हुए व्यापार युद्ध की वजह से यू.एस. का वहां सामान एक्सपोर्ट करना महंगा हो गया है।

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भारत ने बनाई 40 उत्पादों की लिस्ट
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया कि भारत ने कुल 40 उत्पादों की लिस्ट बनाई है। इसमें ताजा अंगूर, कॉटन, तंबाकू, स्टील ब्वायलर आदि शामिल हैं। इन्हें चीन को एक्सपोर्ट करके भारत चीनी बाजार पर यू.एस. एक्सपोर्ट के हिस्से पर अपना अधिकार करना चाहता है। अगर एक्सपोर्ट बढ़ा तो इससे चीन के साथ होने वाले व्यापार में हो रहे 63 बिलियन डॉलर के घाटे को भी कुछ कम किया जा सकता है।

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चीन की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार
भारत चीन की मांगों को पूरा करने के लिए कुछ हद तक तैयार हो भी चुका है। लगभग 20 उत्पाद जिसमें सांड का फ्रोजन मांस, बादाम आदि शामिल हैं उन्हें भारत अब भी एक्सपोर्ट करने की स्थिति में है लेकिन उसे चीन में मार्कीट एक्सैस नहीं मिला। एक स्टडी से पता चला है कि करीब 80 और ऐसी आइटम्स हैं जिन्हें चीन को एक्सपोर्ट किया जा सकता है।

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सरकार ने विभिन्न डिमार्टमैंट्स को नीति बनाने को कहा
अब सरकार ने अपने विभिन्न डिमार्टमैंट्स को नीति बनाने को कहा है जिससे प्रोडक्शन में तेजी आ सके। चीनी काऊंटरपार्ट्स से बातचीत के लिए वहां मौजूद दूतावास को भी एक्टिव कर दिया गया है। अमितेंदु पालिट जो नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में इंस्टीच्यूट ऑफ साऊथ एशियन स्टडीज से फैलोशिप कर रहे हैं, का मानना है कि ट्रेड वार की वजह से कई नई सप्लाई चेन बनेंगी। उन्हें यह भी लगता है कि भारत भी कुछ ‘उत्पादन कड़ियों’ का हिस्सा बन सकता है। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि इससे भारत को फायदा होगा या नहीं यह कहना थोड़ा जल्दबाजी होगा।
 

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