भारत का शीशम लकड़ी के उत्पादों पर प्रतिबंध हटाने पर जोर

Edited By Supreet Kaur,Updated: 21 Aug, 2019 01:47 PM

india emphasis on lifting ban on rosewood products

भारत ने वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर संधि (साइट्स) के तहत शीशम की लकड़ी से बने सामान पर प्रतिबंध हटाने का जोर दिया है। भारत का कहना है भारत में शीशम के पेड़ देश में प्रचुर संख्या में उपलब्ध हैं।...

नई दिल्लीः भारत ने वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर संधि (साइट्स) के तहत शीशम की लकड़ी से बने सामान पर प्रतिबंध हटाने का जोर दिया है। भारत का कहना है भारत में शीशम के पेड़ देश में प्रचुर संख्या में उपलब्ध हैं। वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाली हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) ने एक बयान में कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने साइट्स के परिशिष्ट- II से डालबर्गिया सिसो (शीशम) को सूची से हटाने के लिए साइट्स को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।

परिशिष्ट- II के तहत शीशम की लकड़ी से बनी वस्तुओं के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबंध है। बयान में कहा गया है कि जीवन और जीवन यापन के लिए शीशम के व्यापार के महत्व पर जिनेवा में संबंधित पक्षों के सम्मेलन 18 (कॉप 18) में भाग लेने पहुंचे जनमत निर्माताओं, वन विभाग के अधिकारियों , राजनयिकों और प्रतिनिधियों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए अलग से एक चर्चा आयोजित की गई थी। वर्ष 2016 में साइट्स के परिशिष्ट- II में डालबर्गिया जीनस (जिसमें शीशम और रोजवुड सहित करीब 200 प्रजातियां हैं) को सूचीबद्ध किया गया था।

ईपीसीएच के महानिदेशक, राकेश कुमार ने बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा किए गए अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि शीशम वृक्ष के अस्तित्व के लिए खतरा नहीं है और यह जंगलों और खेतों में बहुतायत में उपलब्ध है। इस अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने साइट्स के समक्ष इस वृक्ष को उसके परिशिष्ट- II से हटाने का प्रस्ताव भेजा है। ईपीसीएच ने कहा कि यह प्रस्ताव नेपाल, भूटान और बांग्लादेश सहित पूरे भारतीय उप-महाद्वीप के कारीगरों और किसानों के हित में है। साइट्स की यह 18 वीं बैठक जेनेवा में 17 अगस्त को शुरू हुई और 28 अगस्त तक चलेगी। भारत से लकड़ी की कलात्मक वस्तुओं का निर्यात वर्ष 2018-19 के दौरान 5,424.91 करोड़ रुपए का रहा जो एक साल पहले से 27.13 प्रतिशत अधिक है। 

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