Edited By rajesh kumar,Updated: 04 Sep, 2020 11:16 AM
नीति आयोग ने अपने एक परिचर्चा पत्र में निजी डेटा प्रबंधन क्षेत्र में भारत को आमूलचूल बदलाव लाने की जरूरत बतायी। इससे डेटा साझा करने के मामले में बेहतर नियंत्रण को बढ़ावा मिलेगा।
नई दिल्ली: नीति आयोग ने अपने एक परिचर्चा पत्र में निजी डेटा प्रबंधन क्षेत्र में भारत को आमूलचूल बदलाव लाने की जरूरत बताई। इससे डेटा साझा करने के मामले में बेहतर नियंत्रण को बढ़ावा मिलेगा।
नीति आयोग ने ‘डेटा सशक्तिकरण और सुरक्षा संरचना’ (डेपा) नाम से एक मसौदा परिचर्चा पत्र जारी किया। यह डेटा क्षेत्र में तेजी से आ रहे बदलाव को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। डेटा के अच्छे प्रबंधन के लिए यह एक लचीली और समय से साथ बदलने वाली व्यवस्था का खाका प्रदान करेगा। आयोग ने कहा कि डेपा लोगों को उनके डेटा तक आसान और सुरक्षित पहुंच उपलब्ध कराएगा। साथ ही तीसरे पक्ष के संस्थानों के साथ उसे साझा करने में सशक्त बनाएगा।
मसौदा दस्तावेज में ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) आधारित डेटा को साझा करने की व्यवस्था को खोलने की बात कही गयी है जो नयी वित्त प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा नवोन्मेष लाएगा।एपीआई डेटा देने वालों और डेटा उपयोग करने वालके बीच कूटभाषा में आसान डेटा साझाकरण को सक्षम बनाता है। इसे सहमति प्रबंधक के माध्यम से किया जाता है। परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि ‘लोगों का उनके डेटा पर नियंत्रण और कैसे उसका उपयोग हो’ की धारणा पर डेपा को तैयार किया गया है।
मसौदे की भूमिका में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने लिखा है कि समय के साथ और तेजी से बदल रही डिजिटल व्यवस्था ने दुनिया में डेटा सुरक्षा, निजता और अनाधिकृत डेटा साझा या दुरुपयोग के सवाल को सामने लाया है। भारत में हमें ना सिर्फ कड़ी डेटा सुरक्षा की जरूरत है। बल्कि भारतीयों को उनके निजी डेटा पर रोजमर्रा की जिंदगी में अधिक नियंत्रण देने के लिए सशक्त करने की भी जरूरत है।