व्यापार के लिए दरवाजे खोलने से भारत, अन्य एशियाई देशों को लाभ हुआ: पनगढिय़ा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Nov, 2018 06:49 PM

india other asian countries benefited from opening up trade panagariya

जाने-माने अर्थशास्त्री अरविंद पनगढिय़ा ने शनिवार को कहा कि भारत और कई अन्य देशों ने अपने काम-काज से इस पुरानी सोच को झुठला दिया है कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए संरक्षणवाद लाभदायक होता है।

नई दिल्लीः जाने-माने अर्थशास्त्री अरविंद पनगढिय़ा ने शनिवार को कहा कि भारत और कई अन्य देशों ने अपने काम-काज से इस पुरानी सोच को झुठला दिया है कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए संरक्षणवाद लाभदायक होता है। उन्होंने कहा कि व्यापार को खोलने से इन देशों को लाभ हुआ। 

पनगढिय़ा ने कहा कि व्यापार में बाधा कम होने से देशों को उच्च वृद्धि दर हासिल करने और गरीबी को कम करने में मदद मिलती है। पनगढिय़ा ने कहा, 'हम ऐसे ही खुले व्यापार को प्रति व्यक्ति आय से जोड़ देते हैं।' उन्होंने अपनी नई किताब ‘फ्री ट्रेड एंड प्रोसपेरिटी’ के विमोचन के मौके पर कहा, 'जब कोई देश व्यापार के लिए दरवाजे खोलता है तो वृद्धि होती है और निरपवाद रूप से गरीबी में कमी आती है गतिशील एशियाई अर्थव्यवस्थाओं हांगकांग, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और ताईवान, चीन, भारत और वियतनाम ने व्यापार से जुड़ी बाधाओं को कम किया और इस चीज का उन्हें फायदा मिला।'

वर्तमान में कोलंबिया विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर पनगढिय़ा ने कहा कि तेज वृद्धि के कारण भारत और चीन अपनी करोड़ों की आबादी गरीबी के चंगुल से बाहर निकालने में सक्षम हो पाए। नीति आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके पनगढिय़ा ने उम्मीद जतायी कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) जैसी संस्थाएं जीवित रहेंगी लेकिन उनमें कुछ बदलाव होंगे। कुछ विकसित देशों द्वारा अपनाए जा रहे संरक्षणवाद के बारे में उन्होंने कहा कि इस चलन के बावजूद दुनिया का अधिकतर हिस्सा अब भी व्यापार के लिहाज से खुला है। इस मौके पर नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि जीडीपी में भारत के निर्यात का योगदान महज 11 प्रतिशत है जो अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत कम है। उन्होंने कहा कि आप आयात के बिना निर्यात नहीं कर सकते। यदि आप आयात की राह में बाधा खड़ी करेंगे तो आप निर्यात नहीं बढ़ा सकते।     
 

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