अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति बढऩे के कारण मात्रा के हिसाब से भारत के कृषि जिंस निर्यात में आश्चर्यजनक रूप से 46 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसने भविष्य में कीमतों में और गिरावट की आशंका के बीच स्टॉकिस्टों को अपनी खरीद
मुंबईः अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति बढऩे के कारण मात्रा के हिसाब से भारत के कृषि जिंस निर्यात में आश्चर्यजनक रूप से 46 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसने भविष्य में कीमतों में और गिरावट की आशंका के बीच स्टॉकिस्टों को अपनी खरीद योजना स्थगित करने के लिए प्रेरित किया है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा संकलित आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल और दिसंबर 2018 की अवधि के बीच भारत का गेहूं निर्यात लुढ़ककर 1,35,284 टन (3.5 करोड़ डॉलर) रह गया जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 2,49,702 टन (7.2 करोड़ डॉलर) था।
इसी प्रकार वैश्विक आपूर्ति में अधिकता के कारण भारत से किए जाने वाले गैर-बासमती चावल निर्यात में मात्रा के लिहाज से 14 प्रतिशत तक और मूल्य के लिहाज से 16.4 प्रतिशत तक की गिरावट आई। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान बासमती चावल, भैंस के मांस, मूंगफली और फल निर्यात में भी गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर 2018 के आखिर और जनवरी 2019 की शुरुआत से वैश्विक धारणा फिर से जार पकडऩे लगी है। इससे आने वाली तिमाहियों में भारत की सभी कृषि जिंसों के निर्यात में तेजी आ सकती है।
भारत सरकार के वाणिज्य विभाग के सचिव अनूप वधावन ने हाल ही में यहां आयोजित एक कार्यक्रम से इतर कहा कि कमजोर वैश्विक दामों के कारण दिसंबर के आखिर तक के नौ महीनों की अवधि में भारत के कृषि जिंस निर्यात में गिरवाट आई है। जिंसों के वैश्विक दामों में शुरू हुए सुधार के कारण भारत से किए जाने वाले कृषि निर्यात में भविष्य में इजाफा होने वाला है।
वैश्विक दामों में तीव्र गिरावट की वजह से कुछेक जिंसों को छोड़कर तकरीबन सभी कृषि जिंसों की आमदनी में गिरावट आई है। अप्रैल-दिसंबर 2017 में गेहूं से होने वाली औसत आमदनी 288 डॉलर प्रति टन थी जो इस साल इसी अवधि में गिरकर 257 डॉलर प्रति टन रह गई। मूंगफली की औसत आमदनी भी 1,057 डॉलर प्रति टन से घटकर इस वर्ष 966 डॉलर प्रति टन हो गई।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने पिछले सप्ताह यह पूर्वानुमान जताया कि 2018-19 में विश्व का अनाज उत्पादन 261.14 करोड़ टन रहेगा जबकि पिछले वर्ष यह 265.88 करोड़ टन था। पिछले वर्ष के बचे हुए भारी स्टॉक के कारण दुनिया में अनाज की कुल उपलब्धता खपत की तुलना में अधिक रहने का अनुमान है।
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