ईरान से कच्चे तेल आयात बैन से भारत की अर्थव्यवस्था होगी प्रभावित

Edited By Yaspal,Updated: 24 Apr, 2019 05:59 PM

india s economy will be affected by crude oil import ban from iran

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा फैसला लिया है। जिसमें उन्होंने ईरान से कच्चे तेल के आयात पर मिलने वाली छुट पर प्रतिबंद लगाया है। उनका कहना है कि भारत सहित कई देशों को कोई छूट नहीं मिले...

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा फैसला लिया है। जिसमें उन्होंने ईरान से कच्चे तेल के आयात पर मिलने वाली छुट पर प्रतिबंद लगाया है। उनका कहना है कि भारत सहित कई देशों को कोई छूट नहीं मिलेगी। इससे भारत के लिए कच्चे तेल की लागत तीन से पांच फीसदी बढ़ जाने की आशंका है। जिससे भारत में महंगाई बढ़ सकती है, और रुपये में गिरावट आ सकती है।अमेरिका के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारत और चीन पर पड़ने वाला है।

निर्यात में गिरावट

भारतीय व्यापार संवर्द्धन परिषद (टीपीसीआई) ने कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में तीन से पांच प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि से देश का निर्यात कारोबार प्रभावित हो सकता है। परिषद के चेयरमैन मोहित सिंगला ने कहा है कि निर्यात क्षेत्र पर प्रभाव पड़ना तय है। क्योंकि सभी तरह के उत्पादन एवं सेवाओं में कच्चा तेल एक मध्यवर्ती सामान की तरह इस्तेमाल होता है। इसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटा 5.6 प्रतिशत बढ़ जाएगा, और जीडीपी में 0.2 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे रुपये पर भी दबाव बढ़ेगा और इसका असर महंगे आयात के रूप में सामने आएगा। सिंगला का मानना है कि प्रतिबंधों से मिली छूट को खत्म करने से कच्चे तेल की कीमत तत्काल तीन से पांच प्रतिशत बढ़ जाएगी। सूत्रों के मुताबिक तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की वृद्धि से व्यापार घाटा सात अरब डॉलर बढ़ सकता है। 

रुपया गिरेगा महंगाई बढ़ेगी

कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से महंगाई के ऊपर जाने की आशंका बन जाएगी। लेकिन चुनाव तक तो सरकार किसी तरह से इसका असर नहीं होने देगी। नई सरकार आते ही पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिए जाएंगे। इसकी वजह से रुपया गिरेगा और महंगाई भी बढ़ जाएगी। चालू खाते का घाटा बढ़ने से पहले से ही काफी ढलान पर चल रहे रुपए में डॉलर के मुकाबले और गिरावट आ सकती है। आयात बिल बढ़ने से रुपए पर दबाव बढ़ेगा। बुधवार को कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे गिरकर 69.94 तक पहुंच गया है। केयर के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतें 10 फीसदी बढ़ सकती है। इससे चालू खाते के घाटे में जीडीपी का 0.4 से 0.5 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।

सरकारी खजाने पर होगा असर 

ईरान से तेल आयात बंद होने की वजह से सरकारी खजाने पर असर पडे़गा। जिसका असर राजस्व और खर्च दोनों पर होगा। पेंट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से राज्यों का राजस्व बढ़ेगा। क्योंकि उनका टैक्स कीमत के आधार पर होता है। लेकिन केंद्र के राजस्व पर कोई असर नहीं आएगा, क्योंकि उसे प्रति लीटर निश्चित टैक्स मिलता है। ईंधन पर सब्सिडी खर्च बढ़ जाने से केंद्र सरकार का व्यय बढ़ेगा। केयर का कहना है कि इस वित्त वर्ष में एलपीजी पर 32,989 करोड़ रुपये और केरोसीन पर 4,489 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।

भारत दुनिका का तीसरा बड़ा उपभोक्ता

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। जो अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का 80 फीसदी और प्राकृतिक गैस की जरूरत का करीब 40 फीसदी आयात से पूरा करता है। पिछले कुछ वर्षों में घरेलू तेल एवं गैस उत्पादन लगातार घट रहा है। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने ईरान से 2.35 करोड़ टन का आयात किया था। जो कि कच्चे तेल के कुल आयात 22.04 करोड़ टन का करीब 10 फीसदी है।

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