Edited By rajesh kumar,Updated: 19 Sep, 2020 07:16 PM
देश का कुल बाहरी कर्ज मार्च के अंत तक 2.8 प्रतिशत बढ़कर 558.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वित्त मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि वाणिज्यिक ऋण बढ़ने की वजह से कुल बाहरी कर्ज बढ़ा है।
नई दिल्ली: देश का कुल बाहरी कर्ज मार्च के अंत तक 2.8 प्रतिशत बढ़कर 558.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वित्त मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि वाणिज्यिक ऋण बढ़ने की वजह से कुल बाहरी कर्ज बढ़ा है। मार्च, 2019 के अंत तक कुल बाहरी कर्ज 543 अरब डॉलर था।
रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च 2020 के अंत तक बाहरी कर्ज पर विदेशी मुद्रा भंडार अनुपात 85.5 प्रतिशत था। एक साल पहले समान अवधि में यह 76 प्रतिशत था। ‘भारत का बाहरी कर्ज: एक स्थिति रिपोर्ट: 2019-20’ में कहा गया कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में बाहरी कर्ज मामूली बढ़कर 20.6 प्रतिशत पर पहुंच गया। एक साल पहले समान अवधि में यह 19.8 प्रतिशत था। मार्च, 2019 की तुलना में सॉवरेन ऋण तीन प्रतिशत घटकर 100.9 अरब डॉलर रह गया।
रिपोर्ट में कहा गया कि यह कमी मुख्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का निवेश घटने की वजह से है। सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई का निवेश 23.3 प्रतिशत घटकर 21.6 अरब डॉलर रह गया, जो एक साल पहले 28.3 अरब डॉलर था। सॉवरेन ऋण का प्रमुख हिस्सा बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय स्रोतों से बाहरी सहायता के तहत ऋण का रहता है। यह 4.9 प्रतिशत बढ़कर 87.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
वहीं दूसरी ओर गैर-सॉवरेन ऋण 4.2 प्रतिशत बढ़कर 457.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया। मुख्य रूप से वाणिज्यिक ऋण बढ़ने से इसमें इजाफा इजाफा हुआ। गैर-सॉवरेन ऋण में सबसे बड़ा हिस्सा वाणिज्यिक ऋण का रहता है। यह 6.7 प्रतिशत बढ़कर 220.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया। बकाया अनिवासी (एनआरआई) जमा 130.6 अरब डॉलर रहा। यह लगभग पिछले साल के स्तर के बराबर है। रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर उभरते बाजारों में अर्थव्यवस्था के विस्तार पर विदेशी कर्ज बढ़ता है, जिससे घरेलू बचत में कमी को पूरा किया जाता है। भारत इस मामले में अपवाद नहीं है।