वीजा-मास्टर कार्ड द्वारा रूस में आप्रेशन बंद करने के बाद चर्चा में भारत का अपना पेमैंट चैनल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Mar, 2022 12:27 PM

india s own payment channel in discussion after visa mastercard

वीजा, मास्टर कार्ड और पे पाल द्वारा रूस में अपनी सेवाएं बंद करने के बाद भारत में रुपे की सफलता पर चर्चा शुरू हो गई है। पे पाल के बाद वीजा और मास्टर कार्ड द्वारा भी रूस में सेवाएं बंद करने के बाद रविवार को पूरा दिन ट्विटर पर रुपे ट्रेंड करता रहा।...

जालंधर (नरेश कुमार): वीजा, मास्टर कार्ड और पे पाल द्वारा रूस में अपनी सेवाएं बंद करने के बाद भारत में रुपे की सफलता पर चर्चा शुरू हो गई है। पे पाल के बाद वीजा और मास्टर कार्ड द्वारा भी रूस में सेवाएं बंद करने के बाद रविवार को पूरा दिन ट्विटर पर रुपे ट्रेंड करता रहा। ट्विटर के यूजर इस बात पर चर्चा करते रहे कि यदि भारत पर इस तरह की कोई पाबंदी लगती है तो भारत के पास रुपे के रूप में अपना पेमैंट कार्ड मौजूद है और भारत को इस तरह की पाबंदी का कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत की पेमैंट मार्कीट में रुपे कार्ड की सरदारी है।

दरअसल भारत ने 2014 के बाद से ही देश में रुपे कार्ड की प्रमोशन शुरु कर दी थी और पिछले 7 साल में देश के पेमैंट कार्ड बाजार में भारत के अपने पेमैंट कार्ड रुपेकी बाजार हिस्सेदारी 15 से बढ़ कर 60 प्रतिशत हो चुकी है और रुपे की इस सफलता से वीजा और मास्टर कार्ड खासे परेशान हैं। मास्टर कार्ड ने केंद्र सरकार द्वारा रुपे कार्ड की प्रोमोशन के मामले को अमरीका की सरकार के समक्ष भी उठाया था लेकिन सरकार ने इस मामले में अपना स्टेण्ड स्पष्ट रखा है और अब डेबिट कार्ड के साथ साथ रुपे कार्ड का विस्तार क्रेडिट कार्ड मार्कीट में भी किया जा रहा है। अब तक देश के क्रेडिट कार्ड मार्कीट में रुपे की हिस्सेदारी बढ़ कर 20 प्रतिशत हो चुकी है।

जन धन योजना से लगे रुपे कार्ड को पंख
रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के नवंबर 2020 के आंकड़ों के मुताबिक देश के 1158 बैंकों ने 60 करोड़ से ज्यादा रुपे कार्ड जारी किए थे लेकिन इनमे से अधिकतर डेबिट कार्ड्स हैं और क्रेडिट कार्ड की संख्या करीब 10 लाख है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद देश में शुरू की गई प्रधान मंत्री जन धन योजना के तहत जनवरी 2021 तक खोले गए 41 करोड़ बैंक खातों में से 30 करोड़ से ज्यादा खाता धारकों को रुपे कार्ड जारी किया गया। 2010-11 से लेकर 2019-20 के मध्य देश में डेबिट कार्ड्स की संख्या 22 करोड़ 70 लाख से बढ़ कर 82 करोड़ 80 लाख हो गई थी और इनमे से 30 करोड़ से अधिक डेबिट कार्ड रुपे द्वारा सेविंग बैंक अकाऊंट्स के तहत जारी किए गए। इसी अवधि के दौरान देश में क्रेडिट कार्ड्स की संख्या भा 1 करोड़ 80 लाख से बढ़कर करीब पान छह करोड़ हो चुकी है।

रुपे कार्ड का किया था दोनों कंपनियों ने विरोध
भारत सरकार के इस प्रमोशन के बाद वीजा और मास्टरकार्ड ने विरोध किया था और कहा था कि इससे भारत में उनके हित प्रभावित होंगे। दोनों कंपनियों ने यू.एस.ट्रेड रेप्रेसंटेटिवस के समक्ष यह मुद्दा उठाया। इनका कहना था कि पीएम मोदी स्वदेशी पेमैंट सिस्टम को प्रमोट करने के लिए राष्ट्रवाद का सहारा ले रहे हैं। भारतीय बाजार पर अपना दबदबा कायम रखने रखने के लिए दोनों कंपनियों के कई तर्क दिए थे। यहाँ तक बाजार और प्रतिस्पर्धा का हवाला दिया था। वीजा ने कहा कि रुपे उसके लिए समस्या बन रहा है। उसने कहा था कि बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए होनी चाहिए। मास्टरकार्ड कुछ साल पहले कहा था, "यह बहुत अच्छा है कि सरकार बाजार खोल रही है, लेकिन बाजार को प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होना चाहिए, न कि जनादेश से प्रेरित प्रतिस्पर्धा से। अगर प्रतियोगी नियामक बन जाता है तो यह चिंता की बात है।"

रूस के पेमैंट कार्ड बाजार में वीजा और मास्टर कार्ड की हिस्सेदारी 72% 
मास्टर कार्ड रूस में पिछले 25 सालों से ऑपरेट कर रहा है, जबकि वीसा भीलगभग इतने समय से वहाँ प्रमुख पेमेंट गेटवे है। इस समय रूस में 30 करोड़ से अधिक क्रेडिट और डेबिट कार्ड प्रयोग में हैं, जिनमें लगभग 21 करोड़ 60 लाख कार्ड इन्हीं दोनों कंपनियों के हैं। रूस के पेमैंट कार्ड बाजार में वीजा की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत है जबकि मास्टर कार्ड की हिस्सेदारी 39 प्रतिशत है। ये दोनों कंपनियां रूस में होने वाले खुदरा लेनदेन का 30 से 60% नियंत्रित करती हैं। दोनों ही कंपनियों को अपने नेट रेवेन्यू का करीब4% रूससे जुड़े व्यवसाय से हासिल होता है। इन दोनों कंपनियों की वैश्विक अर्थव्यवस्था में दखल और किसी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2020 में वीजा द्वारा विश्व भर में 188 अरब लेनदेन किया गया, जबकि मास्टरकार्ड द्वारा 113 अरब बार। इस तरह ये दोनों कंपनियां बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं।

9 तरह के कार्ड जारी करता है एन.पी.सी.आई.
साल 2012 में नैशनल पेमैंट कार्पोरेशन आफ इण्डिया (एन.पी. सी.आई.) ने भारत का स्वनिर्मित पेमैंट गेटवे रुपे कार्ड को लॉन्च किया। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक आफ इण्डिया ने प्रमोट किया था और अब कई वित्तीय संस्थाओं के स्वामित्व के अधीन है। आज देश के 1158 बैंकरुपे कार्ड जारी कर रहे हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। एन.पी. सी.आई. रुपे का डेबिट कार्ड जारी करने के अलावा रुपे क्लासिकल ,प्लेटिनम और सेलेक्ट नाम से क्रेडिट कार्ड के साथ साथ प्री पेड़ कार्ड क्लासिक कारपोरेट और प्लेटिनम और रुपे मुद्रा,रुपे किसान कार्ड और रुपे पन ग्रेन कार्ड भी जारी करता है। इसके अलावा देश के तमाम मेट्रो स्टेशनों की मैंट के साथ साथ सरकारी सेवाओं की पेमैंट के लिए भी रुपे कार्ड जारी किए जा रहे हैं। रुपे कार्ड अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 200 देशों में मान्य हैं और इसके अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय शॉपिंग सेंटर में आप रुपे कार्ड के जरिए शॉपिंग कर सकते हैं।

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