बैटरी रिक्शा की बदौलत भारत ने चीन को पछाड़ा

Edited By Pardeep,Updated: 27 Oct, 2018 05:23 AM

india surrenders china due to battery rickshaw

दुनिया में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सजग भारत अब इलैक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दे रहा है। यह इलैक्ट्रिक क्रांति अभी कारों तक नहीं पहुंची है, फिर भी हमने सिर्फ  बैटरी रिक्शा की बदौलत चीन को पछाड़ दिया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल भारत में करीब...

नई दिल्ली: दुनिया में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सजग भारत अब इलैक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दे रहा है। यह इलैक्ट्रिक क्रांति अभी कारों तक नहीं पहुंची है, फिर भी हमने सिर्फ  बैटरी रिक्शा की बदौलत चीन को पछाड़ दिया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल भारत में करीब 1.5 मिलियन बैटरी रिक्शा चल रहे हैं जो चीन में 2011 से अब तक बेची गई इलैक्ट्रिक कारों की संख्या से ज्यादा है। 

देश में इलैक्ट्रिक व्हीकल्स के सामने अभी लाखों चुनौतियां हैं फिर भी इस पर लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। घर के बाहर, गली में, मैट्रो, बस स्टैंड हर जगह ई-रिक्शा आसानी से मिल जाते हैं। ये अब तक चल रहे ऑटो रिक्शा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं क्योंकि ये उनके मुकाबले सस्ते, तेज और चलाने में आसान हैं। पैरों से खींचने वाले रिक्शे इनके आगे कहीं टिकते ही नहीं। उनमें मेहनत और वक्त दोनों ज्यादा लगता है। 

ए.टी. कर्नी नाम की एक कंसङ्क्षल्टग फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर महीने करीब 11,000 नए ई-रिक्शा सड़कों पर उतर रहे हैं। जानकार मानते हैं कि यह आने वाले वक्त में और तेजी से बढऩे वाला क्षेत्र है। बता दें कि वल्र्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के शहर सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले टॉप 10 शहरों की लिस्ट में शामिल हैं। ऐसे में समय, पैसे की बचत के साथ-साथ ई-रिक्शा प्रदूषण कम करने में भी योगदान देंगे। 

ई-रिक्शा के साथ-साथ सरकार गाडिय़ों को भी इलैक्ट्रिक करना चाहती है। इसके लिए 2030 तक का लक्ष्य भी रखा गया है। भारत में फिलहाल इलैक्ट्रिक गाडिय़ों को चार्ज करने के लिए कुल 425 प्वॉइंट हैं जिन्हें सरकार 2022 तक 2,800 करने वाली है। सरकार के अलावा निजी कम्पनियां भी पैट्रोल पंपों के साथ मिलकर अपने प्वॉइंट लगाने की प्लाङ्क्षनग में हैं। 

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