भारत 4 साल में बन जाएगा पेट्रोलियम उत्पाद का दूसरा सबसे बड़ा बाजार

Edited By vasudha,Updated: 11 Jan, 2020 12:43 PM

india to become second largest market for petroleum products in 4 years

कच्चे तेल की खपत में चीन को पीछे छोड़ते हुए अगले 4 साल में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पैट्रोलियम उत्पाद बाजार बन जाएगा। यह बात अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजैंसी (आई.ई.ए.) ने एक रिपोर्ट में कही। आई.ई.ए. ने कहा कि भारत में तेल की खपत 2024 तक बढ़कर 60...

बिजनेस डेस्क: कच्चे तेल की खपत में चीन को पीछे छोड़ते हुए अगले 4 साल में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पैट्रोलियम उत्पाद बाजार बन जाएगा। यह बात अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजैंसी (आई.ई.ए.) ने एक रिपोर्ट में कही। आई.ई.ए. ने कहा कि भारत में तेल की खपत 2024 तक बढ़कर 60 लाख बैरल रोजाना तक पहुंच जाएगी। 2017 में यह खपत 44 लाख बैरल रोजाना थी। इस दशक के मध्य तक चीन में तेल की मांग भारत से कुछ कम रहेगी।  इंडिया 2020 एनर्जी पॉलिसी रिव्यू में आई.ई.ए. ने कहा कि खपत में होने वाली बढ़ौतरी को देखते हुए तेल रिफाइङ्क्षनग कम्पनियों के लिए भारत काफी आकर्षक बाजार है। भारत अभी तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता, चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर और पैट्रोलियम उत्पादों का शुद्ध निर्यातक है।

 

भारत के लिए रणनीतिक भंडार बढ़ाना महत्वपूर्ण
बिरोल ने समीक्षा जारी करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि अभी अमरीका और चीन के बाद भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। परिवहन, रसोई ईंधन और पैट्रोरसायन उद्योग में खपत बढऩे के कारण आने वाले सालों में भारत की कच्चा तेल मांग में ठीक-ठाक वृद्धि होगी। एजैंसी ने कहा कि भारत के लिए रणनीतिक भंडार बढ़ाना महत्वपूर्ण है। भारत ने आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भूमिगत भंडारण सुविधा तैयार की है, जिनकी सम्मिलित क्षमता 53.3 लाख टन कच्चे तेल के भंडारण की है। इसके दूसरे चरण में भंडारण क्षमता में 65 लाख टन की वृद्धि करने के लिए ओडिशा और कर्नाटक में संयंत्र बनाने की योजना है। आई.ई.ए. के सदस्य देश आम तौर पर 90 दिनों का रणनीतिक भंडार रखते हैं। 

 

पर्याप्त मात्रा में हो रही क्रूड ऑयल की आपूर्ति
एजैंसी का मानना है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल)की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो रही है ऐसे में दाम बढऩे की कोई वजह दिखाई नहीं देती है। बिरोल ने कहा कि अभी वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की 10 लाख बैरल प्रतिदिन की अतिरिक्त आपूर्ति हो रही है। भू-राजनीतिक तनाव की वजह से तात्कालिक तौर पर कच्चे तेल में तेजी आई लेकिन इसके बाद स्थिति सामान्य हो गई। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हमला होने, ईरान तेल के बाजार से बाहर होने तथा वेनेजुएला के धराशायी हो जाने के बाद भी 2019 में कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी रहीं।

 

कच्चे तेल का वैश्विक उत्पादन पर्याप्त
उन्होंने कहा कि अमरीका, ब्राजील, कनाडा, नॉर्वे और गुयाना के कारण कच्चे तेल का वैश्विक उत्पादन पर्याप्त बना हुआ है और इसके कारण हमें लगता है कि इसकी कीमतों में कोई बड़ी तेजी नहीं आने वाली है। बाजार में पर्याप्त मात्रा में कच्चा तेल उपलब्ध है। इराक स्थित अमरीकी सैन्य ठिकानों पर ईरान के मिसाइल हमलों के बाद कच्चा तेल करीब 72 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। हालांकि बाद में ईरान की सीमित जवाबी कार्रवाई से यह नीचे आ गया। फिलहाल, ब्रेंट क्रूड 65.17 डालर प्रति बैरल और वैस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट क्रूड का दाम 59.31 डालर प्रति बैरल पर बोला जा रहा है। 

 

भारत की कच्चे तेल की मांग वृद्धि चीन से होगी अधिक 
आई.ई.ए के अनुसार भारत कच्चे तेल की मांग वृद्धि के मामले में 2020 के मध्य तक चीन को पीछे छोड़ देगा। एजैंसी ने कहा कि भारत को रणनीतिक कच्चा तेल भंडार बढ़ाने की जरूरत है। एजैंसी के कार्यकारी निदेशक फतेह बिरोल ने कहा कि भारत का रणनीतिक कच्चा तेल भंडार उसके 10 दिन के आयात के बराबर है। यह मुश्किल दिनों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। आई.ई.ए. का अनुमान है कि भारत की कच्चा तेल मांग 2017 के 44 लाख बैरल प्रति दिन से बढ़कर 2024 में 60 लाख बैरल प्रतिदिन पर पहुंच जाएगी। वहीं चीन की मांग वृद्धि 2020 के मध्य तक भारत की तुलना में कुछ कम रह जाने का अनुमान है।

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